Thursday, September 30, 2010

यहाँ क्या हो रहा है ?


भारत में कितनें NGOs हैं ?
भारत में कितनें समाचार पत्र छपते हैं ?
भारत में कितनें TV Channels हैं ?
इनका काम क्या है ?
* ये लोग आकडा इकट्ठा करते हैं या करवाते है जो यह बताते हैं की ------
[क] अगले दस साल में भारत सुगर के मरीजों में सम्पूर्ण संसार में नंबर एक देश होगा ॥
[ख] अगले पंद्रह सालों में भारत के तीन चौथाई लोग एड की चपेट में होंगे ॥
[ग] अगले बीस सालों में यहाँ के तीन चौथाई लोग बाई पास सर्जरी से गुजरेंगे ॥
और ये लोग आकडा देते हैं -------
[क] अमुक प्रांत में एक बालक बोर कूएं में गिर गया और सरकार सो रही है ॥
[ख] अमुक प्रांत में भूख से मरनें वालों की संख्या रोजाना बढती जा रही है और सरकार आँखे बंद करके बैठी है ॥
[ग] अमुक मुख्य - मंत्री नें एक भैस खरीदा जो ब्राजील से आई है ॥
[घ] बिद्यार्थी पढ़ाई के वजन के कारण आत्म ह्त्या कर रहे हैं ॥
लेकीन ये लोग यह नहीं बताते की ------
[क] भारत में वैज्ञानिक विकास किस गति से आगे बढ़ रहा है ?
[ख] यहाँ के बिद्यार्थियों की संख्या अमेरिकन विश्वविद्यालयों में बढ़ रही है ॥
[ग] यहाँ का अमुक बालक अमेरिका में विज्ञान शोध में प्रथम आया ॥
[घ] बच्चों को कैसे कड़ी मेहनत करनी चाहिए ?
ये लोग यह भी बताते हैं की .........
अमुक मंत्र का जाप करनें से परीक्षा में उत्तीर्ण हुआ जा सकता है ------
दुनिया बाइसवीं शताब्दी में जा रही है और ......
हमारे ये लोग बच्चों को मंत्र से पास करवा रहे हैं .....
रोना आता है , इन लोगों के कार्यों को देखनें से ॥

===== अपनें को देखो ======

Wednesday, September 29, 2010

और क्या देखा ?


बुद्ध अपनें भिक्षुकों को दीक्षा पूर्व छ: माह ले लिए मरघट पर भेजते थे .......
रात और दिन भिक्षुक को मरघट पर ही रहना होता था ...........
आखिर वह भिक्षुक वहाँ क्या अनुभव करता रहा होगा ?

मरघट एक ऎसी जगह है जहां एक दिन सब को जाना ही होता है चाहे वह .......
राजा हो
रंक हो
अमीर हो
गरीब हो ॥
जबतक तन में प्राण है , कौन मरघट पर अपना झोपड़ा डालना चाहता है ?
जीवन का प्रारम्भ चाहे महल से हुआ हो या पगडंडी से हुआ हो .......
जीवन का प्रारंभ चाहे पांच सितारा होटल की पार्टी से हुआ हो , या
भिक्षा में मिले जूठे भोजन से हुआ हो ----
सब को एक दिन मरघट पर अपनी यात्रा समाप्त करनी ही पड़ती है ॥
मौत एक परम कम्युनिस्ट है जिसकी निगाह में सब एक हैं ,
चाहे वे .....
राजा हों -----
भिखारी हों ----
प्रधान मंत्री रहें हों .....
या चोर रहे हों ॥
मौत एक परम सत्य है
लेकीन ------
कोई इस की चर्चा करना नहीं चाहता , आखिर इस से इतनी नफरत क्यों ?

==== जानों =====

Tuesday, September 28, 2010

ऎसी बात कौन कह सकता है ?


मैं , लगता है कुछ भ्रम में था ........
अपना झोपड़ा एक कदम पहले बना लिया था ......
लेकीन अब ------
उसमें ही बसेरा करूंगा , जिस में सभी जाते हैं [ मौत ] ....
आप सोचना की ऐसी बात कौन कह सकता है ?

बाबा कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे , उनके प्रेमी लोग उनकी खूब सेवा किया ।
बाबा चलते - चलते बोले -- आप सब को कैसे धन्यबाद करूँ , आप लोग तो मेरे लिए
निराकार प्रभु के साकार रूप हैं , मैं तो आप सब का धन्यबाद ही कर सकता हूँ , और मेरे हाँथ में
है भी क्या ?

उसनें अच्छी सीख दिया , जो कुछ मैं का अंश बचा था , वह सब उसनें निकाल दिया ,
ऐसा लगता है , अब पता चला की
मैं भ्रम में था और जिस जगह अपना झोपड़ा बना रखा था , वह जगह एक कदम पीछे थी ,
उस के आश्रम से जहां सभी को जाना ही पड़ता है चाहे होश में या बेहोशी में ,
यहाँ यही एक सत्य दिखता है ।
जन्म , जीवन और मृत्यु - तीन अवस्थाएं हैं जिनके होश के माध्यम से प्रभु में पहुंचना संभव है ।
जन्म का तो पता न चला , जीवन लगता है भ्रम में कहीं खो गया अब तो मृत्यु ही शेष है जिसके
माध्यम से प्रभु को जाना जा सकता है , और यदि यह मौक़ा भी हाँथ से निकल गया तो समझो
लम्बी यात्रा से गुजरना होगा ॥

अब तो अपना झोपड़ा एक कदम आगे सरकाना पड़ेगा जिस से उसके माध्यम से अपनें को भुला कर
प्रभु की हवा में रहा जा सके ॥
मौत प्रभु का प्रसाद है , जो सम भाव से सब को मिलता है चाहे कोई
चाहे या न चाहे ॥

==== जय हो =====


Monday, September 27, 2010

बहुत से अरमान रहें होंगे , उसके दिल में

बाबू ! यह संसार है , यहाँ सब कुछ मिलता है ........

यहाँ ऐसा कोई न होगा जिसके कोई अरमान न हों , बिना अरमान का क्या कोई जीवन है ?

यहाँ कोई गणेशजी की पूर्ति बना कर अपना अरमान पूरा करना चाहता है ,

यहाँ कोई दारु बना कर अपनें अरमान पुरे करना चाहता है ।

यहाँ कोई किसी को अपना खून दे कर अपना अरमान पूरा करता है तो ...

कोई किसी का खून पी कर अपना अरमान पूरा करता है ॥

यहाँ कोई किसी की किडनी चुरा कर अपना अरमान पूरा करना चाहता है ,

कोई अपनी किडनी दे कर अपना अरमान पूरा करता है ,
क्या क्या देखोगे , यहाँ .....

यहाँ सब कुछ देखनें को है लेकीन दिखता वही है जो मन देखना चाहता है ॥

अरमान तो अरमान ही होता है और अरमान का अर्थ है ......

वह जो हमें तो समाप्त करदे लेकीन स्वयं बना रहे ,
बुद्ध कहते हैं ......
कामना दुस्पुर होती हैं अर्थात कामना वह जो कभी समाप्त न हो ।
अरमान जब मनोरंजन का साधन सा दिखे तो समझना मार्ग सही है और .....
अरमान जब माथे के पसीनें को सूखनें न दे तो समझना , मार्ग नरक की ओर जा रहा है ॥
अरमान एक तरफ प्रभु की ओर जाता है और ....
दूसरी ओर नरक की ओर , आप को कहाँ जाना है ?



==== जय हो =======

Sunday, September 26, 2010

उसके हाँथ में सूखी रोटी का एक टुकड़ा भर था .....

बस्ती के बाहर कुछ दूरी पर एक झोपड़े के सामनें भारी भीड़ और कारों का काफिला देख
मुझसे रहा न गया ।
मैं चल पडा उस ओर और वहाँ पहुँच कर पूछा , एक सज्जन से - यह सुबह - सुबह भीड़ ?

बात क्या है ?
उस सज्जन ने उत्तर दिया - बात है नहीं हो गई है । आप एकी बाबा को जानते हैं ,

मैं बोला , हूँ , कुछ - कुछ ।
मुझे उत्तर मिला , बाबा आज न रहे , उनके भक्त मुंबई , कोलकता एवं दूर - दूर से आ रहे हैं ,

सुन रहे हैं की चार
बजे उनको अंतिम क्रिया के लिए ले जाना है ।

मैं भी जानना चाहता था की यह बाबा कौन था , और लोगों की बातों को सुनता रहा ।

जो लोगों को महल दिए ,
जो लोगों को औलाद दिए , जो लोगों को कारोबार दिए , जो लोगों के लिए अपनें को

अर्पित कर रक्खा था ,
आज वह इस संसार में न रहा और उसके भक्त उसको आखिरी श्रद्धा अर्पित करनें के लिए

यहाँ आ रहेहैं , देखते हैं आगे क्या होता है ?
चार बजते ही बाबा के शव को बाहर निकाला गया । बाबा अपनें झोपड़े में जमीं पर ही सोते थे ।
बाबा का शव एक फटे कम्बल में लिपटा था , लोग उनके शव को कम्बल से निकाला और

यह देख कर
सभी रोने लगे की ........
वह बाबा जो लोगों को महल दिए थे ......
वह बाबा जो लोगों को सुख - आराम के लिए आशिर्बाद दिए थे ........
आज उनके हाँथ में .......
सूखी रोटी का एक टुकड़ा पाया गया ,

लगता है बाबा इस टूकड़े को कई दिनों से आज के लिए रख रक्खा था ।
बाबा का चेहरा ऐसा दिख रहा था जैसे बाबा हस्नें ही वाले हो और देखनें से ऐसा नहीं लगता था

की बाबा अब नहीं रहे ॥
लोगों के लिए जो जीते हैं ........
लोगों के लिए जो श्वासें भरते हैं ....
उनसे दूर परमात्मा नहीं रहता ॥
धन्य हैं ऐसे लोग जो ऐसे निर्विकार संतों की छाया तले कुछ वक्त गुजरा हो ।
ऐसा मौक़ा अनेक जन्मों के बाद मिलता है

और
ऐसे संत सदियों बाद आते हैं ॥

==== जय हो =======

Friday, September 24, 2010

बसुधैव कुटुम्बकम


भारत के ऋषि इस बात को हजारों वर्ष पूर्व में कहा होगा जब यह भी पता न था की पृथ्वी घुमती भी है ।
इस परम सत्य की उद्घोषणा के बाद क्या हुआ ?
भारत गुलामी में फसता चला गया और आज हालत ऎसी आ चुकी है की हमारा खून भी गुलामी के रंग में
रंग चुका है ।
भारत जब भी गुलाम हुआ है यातो गुजरात - राजस्थान की ओर से हमलावर आये या बंगाल की ओर से । अब कुछ बातें जो सोचनें लायक हैं :----
[क] अलेक्स्जेंदर महान जब भारत आया तो उसके साथ कितनें लोग थे , उसकी विजय क्या हमारे
लोगों के कारण नहीं हुई ?
[ख] हुड जब आये तो वे कितनें थे ?
[ग] मुग़ल जब भारत आये तो उनको पनाह किसनें दिया ? अकबर का जन्म भारत के किस राजा के किले में
हुआ ?
[घ] ब्रिटिश जब भारत आये तो उनको किस राजा नें पैर रखनें दिया , और क्यों ?
हम भारतीय आपस में लड़नें की अच्छी कला जानते हैं लेकीन बाहरी लोगों के सामनें भीगी बिल्ली क्यों
बन जाते हैं ?
इधर कामन वेल्थ गेम का जोर है ; कामन वेल्थ गेम अंग्रेजों के दिमाक की उपज है जो यह
याद दिलाता है की तुम सब गुलाम थे और कुछ नहीं । आज भारत के गावों में पीनें का पानी नहीं है ,
शिक्षा का कोई साधन नहीं है , जो है भी वह न के बराबर है , इन कामों के लिए पैसा नहीं है लेकीन
कामन वेल्थ गेम के लिए पैसे की कोई कमी नहीं ।
उत्तर प्रदेश टूटनें के बाद भी आज कितना बड़ा राज्य है । पूर्वी भाग में काशी विश्वविद्यालय का
प्रायोगिकी बिभाग पिछले तीस वर्षों से IIT ,s के लिए प्राध्यापकों को पैदा करता रहा है लेकीन स्वयं
IIT न बन पाया , जब की आधे से अधिक IITs से इसका स्तर उंचा है , यह है राजनीत का चक्कर ।
न उत्तरा खंड बनता न रूडकी प्रायोगिकी संस्थान बनता ।
बसुधैव कुटुम्बकम की आवाज बुलंद करनें वाले देश के अपनें राज्य एक दूसरे को
दुश्मन समझते है , है न गंभीर समीकरण ?
उम्मीद है नौजवानों से शायद वे ऋषियों की वाणी को अपनें देश में प्रयोग करें ।

===== ओम =======

Thursday, September 23, 2010

यह कौन सी नीति है ?


वह कौन सा देश है , जिसकी बागडोर बूढों के हाँथ में हो और .......
नौजवानों के हांथों में ----
A K-47 रायफल हो ?

वह कौन सा देश है जहां अनपढ़ लोग विज्ञान - टेक्नोलोगी के मंत्री हों और B.Tech. युवा सब्जी बेचता हो ?
वह कौन सा देश है जहां कौआ मोती खाता है और हंस को दाना भी न मिलता हो ।
वह कौन सा देश है जहां प्राइमरी स्कूल के अध्यापक बननें के लिए Ph.D. लोग
आवेदन करते हैं ।
वह कौन सा देश है जहां जब ------
कोई सचिव रिटायर होते हैं तब उनको राज्यपाल , उप राज्यपाल , रिसर्व बैंक का गवर्नर , चेयर मैंन या किसी विश्व विद्यालय का उप कुलपति बनाया जाता है और .....
वैज्ञानिक रिटायर होता है तो उसके लिए कोई जगह नहीं होती ।
वह कौन सा देश है जहां बेईमान लोग सफ़ेद कपडे डालते हैं और इमानदार नंगे घूमता है ।
वह कौन सा देश है जहां प्रशासन एवं जनता के बीच लम्बी दूरी हो और जनता के
अन्दर भय भरा हो ।
वह कौन सा देश है जहां गुरुओं को जान से मारा जाता हो ।
वह कौन आ देश है जहां चपरासी बननें के लिए मैट्रिक पास होना जरुरी हो और
मंत्री बननें के लिए कोई
योग्यता की जरुरत न हो ।
आप भी सोचें और मैं भी सोचता हूँ की -----
वह देश हमसे किता दूर है ?

===== जय हो ====

Wednesday, September 22, 2010

जो प्रभु का क्रीडा स्थल है

भारत एक ऐसा देश है जहां :---
[क] प्रभु गर्भ से जन्म लेते हैं .........
[ख] प्रभु लोगों के संग रहते हैं ........
[ग] प्रभु स्कूल पढनें जाते हैं .........
[घ] प्रभु का ब्याह होता है .............
[च] प्रभु के बच्चे होते हैं ...............
[छ] प्रभु की मृत्यु होती है ............
और -------
[क] प्रभु को शिक्षा देनें वाले भी होते हैं .....
[ख] प्रभु को मारनें वाले भी होते हैं .....
कहीं और , किसी और देश में ऐसा ऐसा क्यों नहीं होता ?
प्रभु निराकार से साकार रूप में भारत भूमि पर ही क्यों पैदा होता है ?
[क] क्या यहाँ पाप करनें वालों की संख्या तेजी से बढती है ?
[ख] क्या यहाँ साधू लोगों को सतानें वाले अधिक होते हैं ?
तमाम सारे प्रश्न हैं जिनके बाते में आप को सोचना है ,
जोचिये , कुछ ----
आज , और
कुछ कल , फिर मिलेंगे ॥

==== जय हो =====

Tuesday, September 21, 2010

वह कहाँ गया होगा ?

जब यह संसार किसी को पराया समझनें लगे .....
जब अपने पराये से लगते हों ......
जब सभी सहारे टूटते दीखते हों ......
जब सभी राह कांटो भरी दिखती हों .....
तब वह ब्यक्ति क्या करता है ?
या तो वह खुदकशी करके अपनें को समाप्त कर देता है या ....
बैरागी के कपडे डाल कर काशी - प्रयाग में भीख माँगता है ।
क्या बैरागी के कपड़ों को अपनानें से वह बैरागी हो पाता है ? जी नहीं .....
भागा हुआ ब्यक्ति कभी भी चैन से नहीं रह पाता ,
ज़रा इस बात पर

जिस से भागोगे प्यारे वह आप का पीछा करता ही रहेगा , चाहे वह हिमालय हो या अपना घर ।
अब आगे -------
सुख का जहां अंत होता है , क्या वहाँ से दुःख का प्रारम्भ नहीं होता ?
दुःख का जहां अंत होता है क्या वहाँ से सुख का प्रारम्भ नहीं होता ?

अब सोचिये ज़रा -------
जहां सुख - दुःख मिलते हैं अर्थात वह रेखा जो सुख- दुःख को अलग करती करती है , वह क्या है ?
वह क्या .........
गीता का सम भाव ॥
गीता का सम भाव वह है .......
जहां से एक ओर प्रभु का आयाम होता है और ----
दूसरी ओर भोग संसार का .....
वह ब्यक्ति जो चला था वह संसार की ओर तो अपना रुख अब कर नहीं सकता ,
उसका रुख जरुर हुआ होगा प्रभु की ओर , और यदि ......
वह आत्म ह्त्या किया होगा तो वह .......
निहायत कमजोर ब्यक्ति रहा होगा ॥

==== जय हो =====

Monday, September 20, 2010

आखिर वह चल पडा

वह करता भी क्या ? कोई विकल्प न था उसके सामनें ।
उसनें अपनें भविष्य के लिए कभी सोचा ही नहीं
की उसका भविष्य उसके सामनें वर्तमान के रूप में आ खडा हो गया था ।

जब उसे यह एह्शाश हुआ की वह जिस डाल को पकड़ कर चल रहा है वह ड़ाल नहीं ,
उसका अपना भ्रम है , उसका हाँथ तो सदैव खाली ही था ,
तब वह क्या करता , उसे जाना ही था ।

जब उसे पता चला की वह जिसको अपना आँगन समझ रखा है वह उसका नहीं
किसी और का है ,
तो वह क्या करता ?
इस आंगन में कभी - कभी किसी कोनें में बैठ कर दो - चार बूदें अपनें आशू के टपका कर
शांत हो लेता था लेकीन अब यह भी सहारा जाता रहा , फिर वह क्या करता ?

वह अपना सारा जीवन जिनके लिए गवाया था , वे जब उसको पराये से दिखनें लगे
तो वह क्या करता ?
उसे तो जाना ही था ।

इस संसार में कौन कब तक किसका बना रहता है ?
यह एक बहुत बड़ा राज नहीं है सीधी सी बात है -----
[क] जब तन से आप कमजोर हो जाते हैं तो बिल्ली भी आँखें दिखानें लगती है ।
[ख] जब आप का हाँथ खाली हो जाता है अर्थात आप निर्धन हो जाते हैं
तब .......
अपनें भी पराये से होनें लगते हैं ।

आखिर वह कहाँ गया होगा ?
इस बात पर आप भी सोंचे और मैं भी सोच रहा हूँ ।
आगे चल कर देखेंगे की
वह भक्त ........
कहाँ गया होगा ॥

===== जय हो ======

Sunday, September 19, 2010

कोई सिसक रहा था


सुबह - सुबह मैं एक पेंड के नीचे बैठ कर सुस्ता रहा था , कुछ - कुछ अन्धेरा भी था , मुझे लगा पास में
कोई सिसक रहा है । मैं इधर - उधर देखनें की कोशिश भी की लेकीन कुछ दिख न पाया
पैरों की ओर से एक आवाज आई , मैं हूँ , मैं हूँ की आवाज सुन कर मैं तो घबडाया लेकीन इतनें में
वह बोली - यह मैं - पृथ्वी हूँ ।
पृथ्वी और रोना , कुछ समझ में न आया , मैं पूछ बैठा , बात क्या है ? पृथ्वी बोली , आप पूछते हैं
बात क्या है ?
क्या आप देखते नहीं की मेरे साथ क्या हो रहा है ?
मैं क्या करती , उधर शहर में तो सिसल भी नही सकती थी सोचा चलते हैं बाहर कहीं एकांत में रो लेते हैं ।
विज्ञान के बिकास के साथ मैं बहुत खुश थी , क्या पता था की मेरी ऎसी दशा होगी ?
मनुष्य क्यों इतना स्वार्थी होता जा रहा है ? मैं तो करोड़ों सालों से आप सब की सेवा कर रही हूँ लेकीन
मुझे क्या यही मिलना था ? अब तो हालत ऎसी आ गयी है की श्वास लेना भी कठिन हो गया है ॥

==== जय हो ======

Saturday, September 18, 2010

फिर कौन था ?


[क] जब पृथ्वी मानुष शून्य थी पर अन्य सभी थे , तब यह कैसी रही होगी ?

[ख] तब जो थे उनमें क्या परमात्मा नही झांकता रहा होगा ?

[ग] तब सच को झूठ और झूठ को सच कौन बनाता रहा होगा ?

[घ] तब जो था , वह क्या सैट न था , जिसको गीता कहता है ---
नासतो विद्यते भावों नाभावो विद्यते सतः

[च] तब सुख - दुःख का अनुभव कौन करता रहा होगा ?

पांच बांते उनके लिए जिनकी बुद्धि भोग में उलझ चुकी है और -----
उनके माथे पर आया पसीना कभी सूखता नहीं ॥
भोग में उलझी बुद्धि नरक का द्वार है और .....
प्रभु में स्थिर बुद्धि परम गति का मार्ग ॥

==== जय हो =====

Friday, September 17, 2010

क्यों न सोचें ?


[क] 3500 B.C. के आस-पास मिले सबूतों के आधार पर ईराक में गिनती की सोच थी लेकीन वहाँ का
कोई भी ब्यक्ति गणित में नोबल पुरष्कार नहीं पाया होगा ?

[ख] भारत में मिथिला एक तरफ कंश की ससुराल थी तो दूसरी तरफ माँ सीता का जन्म स्थान भी था ।

[ग] याज्ञबल्क इशा पूर्व में मिथिला के निवासी , पृथ्वी को एक ठोस गेंद की भाति बताया था और यह भी
कहा था की यह घुमती है लेकीन उनकी बात यों ही दब गयी ।

[घ] शून्य का जन्म भारत में हुआ लेकीन शून्य के आधार पर कम्पूटर भारत में न बन पाया ।

च] इशा पूर्व 300-200 वर्ष पूर्व वैशेशिका में जो वेदों का एक अंग है , Particle Physics की कुछ बुनियादी

बाते हैं लेकीन यहाँ कौन इस पर सोच सकता था ?

=== जय हो =====

Thursday, September 16, 2010

कितनें लोग हैं


[क] प्रभु श्री राम के बचनों को कितनें लोग धारण किये हैं

[ख] प्रभु श्री कृष्ण के गीता - ज्ञान से कितनें प्रभावित हैं

[ग] माँ सीता की आकाश में गूंजती गुहार को कितनें लोग सुनें

[घ ] युद्ध में प्रभु राम जी के साथ कितनें मानुष थे

[च ] युशु जब शूली पर लटक रहे थे तो कितनें लोगों के आँखें भर आई थी


पांच सोचनें के सूत्र हैं , जब भी वक्त मिले सोचना ॥

===== जय हो =====

Wednesday, September 15, 2010

क्या होगा ..... ?


[क] जहां राम रावन बन रहे हों ..........

[ख] जहां अपनें पराये हो रहे हों .........

[ग] जहां राजा भक्षक बन गए हों ......

[घ] जहां के वातावन में अपना ही खून दूषित हो रहा हो ........

[च] जो देश लुटेरों की बस्ती बन गया हो .................

भारत मात्र एक ऐसा देश है जहां -----
निराकार प्रभु को बार - बार --------
साकार रूप में आना पड़ता है , क्यों ?

===== जय हो =====

Tuesday, September 14, 2010

दिल धडक रहा है

** गरीब के दिल की धड़कन तेज है क्योंकि उसका पेट
खाली है ------
** अमीर के दिल की धड़कन तेज है , डर से की कहीं ब्यापार में
मंदी न आ जाए ------
### भोजन कर रहे ब्यक्ति के दिल की धड़कन तेज है ,
कहीं फ़ूड पोय्जनिंग न हो जाए -----
### विद्यार्थी के दिल की धड़कन तेज है , कहीं फेल न
हो जाए -------
$$$ नेताजी का दिल धडक रहा है
क्योंकि -----
चुनाव आ रहा है ॥

यहाँ इतनी अराजकता क्यों बढ़ रही है ?
और इसका इलाज क्या है ?

=== जय हो ====

Monday, September 13, 2010

एक झलक आज की

## दादा की बात आज कौन सुनता है ?

## दादी की बात आज कौन सुनता है ?

## जनता की आवाज आज कौन सुनता है ?

** जंगल के दिल की धड़कन कौन सुनता है ?

** पशु - पक्षियों की गुहार को आज कौन सुनता है ?