Saturday, September 24, 2011

आप की खोज किसकी हो सकती है

मनुष्य क्या चाहता है?

मनुष्य हर पल नया देखना चाहता है,हर पल नया सुनना चाहता है,हर पल नये को स्पर्श करना चाहता है,हर पल नये की संगति करना चाहता है,हमेशा नया घर चाहता है,नयी कार चाहता है,नये-नये धर्म गुरुओं को देखना चाहता है,नये-नये सपनें देखना चाहता है,नये-नये तीर्थ देखना चाहता है,नये-नये संगीत सुनना चाहता है और नये-नये कार – बाइक आदि को अपनें पास रखना चाहता है/मनुष्य नये की खोज में स्वयं बूढा हो रहा है,इसकी फ़िक्र उसे नहीं होती/आज जो है उसमें मनुष्य को रस नहीं मिलता वह सोचता है कल जो आएगा उसमें कुछ और रस होगा और यह उसकी सोच विज्ञान में उसे बनाए तो रखती है लेकिन उसे स्वयं से दूर रखती है,उससे उसका आज छीन लेती है और स्वयं से दूर रहना ही तनहाई है/


प्रकृति में जितनें भी प्रकार के जीव हैं उनमें वैज्ञानिक सबसे अधिक तनहा जीव है ; वह वैज्ञानिक हो नहीं सकता जबतक उसमें तनहाई न भरी हो / प्रो आइन्स्टाइनसे किसी ब्यक्ति नें पूछा , यदि मृत्यु के बाद दूसरा जन्म होता हो तो आप अगले जन्म में क्या बनना पसंद करेंगे ? आइन्स्टाइन तुरंत बोल पड़े , कमसे कम वैज्ञानिक तो मैं बनना नहीं चाहूँगा , वैज्ञानिक बननें से तो बेहतर होगा यदि मैं घरों में पानी के नलकों को ठीक करनें वाला मेकैनिक बन जाऊं / क्यों इतना बड़ा वैज्ञानिक इतना तनहा जीवन जी रहा है ? कामना दुस्पुर होती है , यह बातबुद्ध कहते हैं / दुस्पुर का अर्थ है वह जो कभीं तृप्तता को स्पर्श न करती हो / कामना विज्ञान का गर्भ है और कामना तनहाई का पिजड़ा भी है / पिजड़े में कैद पंछी कभी तनहाई से मुक्त नहीं हो सकता और बिना तनहाई मन – बुद्धि में वैज्ञानिक विचार आ नहीं सकते /

आधुनिक विज्ञान का जनकसर आइजक न्यूटनका जन्म उनके पिता के देहांत के तीन माह बाद हुआ/ जब वे तीन साल के हुए तब उनकी मां अपना ब्याह रचा लिया और न्यूटन अनाथ हो गए/

आप सोच सकते हैं कि इतना तनहा बच्चा किस प्रकार का मनोविज्ञान अपनें में रखा होगा ? स्कूल से निकाले गए और तनहाई में जब एक सेव के पेड़ के नीचे बैठे अपने विचारों में खोये रहे तब ऊपर से एक सेव उनके सामनें आ टपका / सेव के तपकनें की आवाज उनके लिए ब्रह्म की आवाज बन गयी और उनका तनहा मन एवं तनहाई से भारी हुयी बुद्धि की ऊर्जा एकाएक रूपांतरित हो उठी और वे गुरुत्वा कर्षण का वह सिद्धांत दिया जो आज तक किसी वैज्ञानिक से बदला न जा सका /


बहुत कम ऐसे लोग होंगे जो तनहाई से प्रभावित न होते हों लेकिन ऐसे भी बहुत कम लोग हैं जिनको उनकी तनहाई उनको ऐतिहासिक पुरुष बना दिया/आप भी जब उदास हों तो अपनी उदासी को परम को पकडनें का साधन बना लेना,क्या पता यही आप की तनहाई आप को पूर्ण रूप से तृप्त कर दे//


=====ओम=====


4 comments:

रविकर said...

सुन्दर प्रस्तुति पर
बहुत बहुत बधाई ||

Atul Shrivastava said...

सुंदर प्रस्‍तुति.....

अच्‍छी सीख देती पोस्‍ट
आभार आपका.....

कविता रावत said...

bahut hi sundar prastuti..
Prastuti hetu aabhar!

kanu..... said...

aapka bahut bahut aabhar is sundar prastuti ke lie