Friday, June 20, 2025

भारतीय मंदिरों में पशु बलि प्रथा


पहले इस विषय से संबंधित वर्तमान स्थिति पर नज़र डालते हैं ….

राज्य

वर्तमान की स्थिति

उत्तर प्रदेश , बिहार और

 मध्य प्रदेश

अधिकांश मंदिरों में पशु बलि प्रथा समाप्त हो चुकी है ।

बंगाल , असम और ओडिशा

ग्रामदेवी , शक्ति पीठों में पशु बलि प्रथा कहीं - कहीं चल रही है।

तमिल नाडु और आंध्र प्रदेश

ग्रामीण / तांत्रिक परम्पराओं में सीमित बलि प्रथा कायम है।

केरल

कुछ मंदिरों में अनौपचारिक बलि , सरकार की निगरानी में चल रही है ।

उत्तर भारत के प्रमुख मंदिरों की स्थिति

19 वी शताब्दी के उत्तरार्ध से काशी विश्वनाथ मंदिर एवं महाकालेश्वर मंदिर , उज्जैन जैसे बड़े मंदिरों में पशु बलि बंद है।


पूरे भारत देशके मंदिरों में पशु बलि प्रथा (Animal Sacrifice) पूर्णरूपेण समाप्त नहीं हो पायी है। यह परंपरा आज भी कुछ राज्यों और विशेष रूप से शक्तिपीठों या

 ग्राम्य/तांत्रिक परंपराओं में सीमित रूप से प्रचलित है। 

 ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में धर्म, स्वास्थ्य, और सार्वजनिक शांति के नाम पर कई प्रकार की धार्मिक बलि प्रथाओं को अस्वीकार किया गया था । 1830s–1850s से, ब्रिटिश सरकार कई रियासतों के साथ मिलकर शहरी इलाकों में बलि पर नियंत्रण शुरू किया था । बंगाल, उड़ीसा, असम और तमिलनाडु जैसे क्षेत्रों में इस नियंत्रणका स्थानीय लोगों द्वारा विरोध भी किया गया क्योंकि वहां तांत्रिक परंपरा और देवी पूजा में बलि प्रचलित थी।

19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में राजा राममोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती (आर्य समाज), विवेकानंद, आदि ने पशु बलि की कड़ी आलोचना की जिसका शहरी और ब्राह्मणिक मंदिरों में बलि प्रथा पर नैतिक और धार्मिक दबाव पड़ा। 1950 के बाद संविधान के अनुच्छेद 48 में "गाय और बछड़ों के वध" पर प्रतिबंध की सिफारिश की गई। कई राज्यों ने अपने-अपने "पशु क्रूरता निवारण अधिनियम" (Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960 के तहत) बनाए। कई मंदिरों में ट्रस्ट द्वारा औपचारिक रूप से बलिप्रथा समाप्त कर दी गई जैसे कामाख्या मंदिर (असम) लेकिन यहां अभी भी बकरे / मुर्गे तक सीमित बलिप्रथा है।

कालिका मंदिर कोलकाता में अनुमति के बिना बलि नहीं दी जाती। तमिलनाडु में कुछ ग्राम देवताओं के मंदिरों में अभी भी मुर्गा, बकरी आदि की बलि दी जाती है। अगले अंक में कड़ी विश्वनाथ मंदिर और दुर्गाकुंड मंदिर वाराणसी के संबंध में चर्चा होगी ।

~~ ॐ ~~