ध्यान रखना होगा कि जबतक पिछले पादों का पूरा ज्ञान नहीं होगा तबतक कैवल्य पाद के 34 सूत्रों को समझना संभव नहीं ।
धर्म भी त्रिगुणी और समयधीन है , यह मैं नहीं कैवल्य पाद कह रहा है ! धर्म वह नहीं जिसे आप - हम समझते हैं अपित धर्म वह जो हमें चलाता है ।
योग कुछ स्थूल वस्तुओं के प्राप्ति का साधन नहीं , अपितु भोग और भोग बिषयों जे प्रति वितृष्णा का भाव अंतःकरण ने संचालित करने का मार्ग है । अब देखिये , कैवल्य पाद के बिषयों को ।
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