Sunday, September 29, 2024

श्रीमद्भागवत पुराण आधारित गंगा रहस्य भाग - 04



पुराण आधारित गंगा रहस्य भाग - 04 07 द्वीपों का भूगोल

ऊपर 07 द्विपो और 07 सागरो को दिखाया गया है। द्वीपों में  जंबू द्वीप केंद्र है जहां हम लोग हैं। यह द्वीप बाहर से खारे पानी के सागर से घिरा हुआ है । खारे पानी के सागर के बाहर प्लक्ष द्वीप है जो ईख के रस वाले सागर से घिरा हुआ है । ईख रस वाले सागर के पार शाल्मलि द्वीप है जो चारो तरफ से मदिरा भरे सागर से घिरा हुआ है । मदिरा सागर के आगे कुश द्वीप है जो घी से भरे सागर से गिरा हुआ है । घी से भरे सागर के पार क्रौंच द्वीप है जो दूध से भरे सागर से घिरा हुआ है और इसे ही क्षीर सागर भी कहते हैं जो विष्णु भगवान , मां लक्ष्मी एवं शेष जी का निवास स्थान है । प्रभु और मां लक्ष्मी शेष नाग की शैय्या पर विराज मान हैं । कृष्ण अवतार के लिए ब्रह्मा जी अन्य देवताओं के साथ क्षीर सागर के तट पर पुरुष सूक्त से प्रभु की स्तुति करके प्रभु को प्रसन्न किए और प्रभु उन्हें बताया था कि वे , शेष जी के साथ देवकी के गर्भ से अवतरित हो कर पृथ्वी को क्लेश मुक्त कराएंगे । 

अब आगे बढ़ने से पहले बुद्धि स्तर पर सोचना होगा कि जंबू द्वीप के बाहर खारे पानी के सागर से कौंच द्वीप के  बाहर स्थित क्षीर सागर ( दूध का सागर ) के मध्य कितनी दूरी होगी ? 

क्षीर सागर अर्थात जंबू द्वीप के बाहर खारे पानी के सागर के बाद 03 सागरो एवं 04 द्वीपों के बाद क्षीर सागर आता है। 

यह सागर श्री हरि, मां लक्ष्मी एवं शेष जी का निवास है । इसी सागर का  देव - दानव मिल कर मंथन किए थे और यही वह सागर है जिसके तट पर देवासुर संग्राम भी हुआ था ।

क्षीर सागर के पार शाक द्वीप है जो मट्ठे से भरे हुए सागर से घिरा हुआ है । इस सागर के पार पुष्कर द्वीप है जो मीठे पानी के सागर से घिरा हुआ है। 

अब जम्बू द्वीप का भूगोल और इसमें इलावृत वर्ष एवं मेरु पर्वत की स्थिति को देखते हैं । ⤵️

जंबू  द्वीप के केंद्र में इलावृत वर्ष ( देश ) और मेरु पर्वत है । इलावृत के उत्तर में क्रमशः नील पर्वत , रम्यक वर्ष , श्वेत पर्वत , हिरण्य वर्ष , श्रृंगवान पर्वत ,उत्तर कुरु वर्ष और उत्तरीय सागर है । इलावृत के दक्षिण में क्रमशः निषध पर्वत , हरि वर्ष , हेमकूट पर्वत , किंपुरुष वर्ष , हिमालय पर्वत , भारत वर्ष और दक्षिणी सागर है । इलावृत के पूर्व में क्रमशः गंधमादन पर्वत , भद्राश्व वर्ष और पूर्वी सागर है । इलावृत के पश्चिम में क्रमशः माल्यवान पर्वत , केतुमान वर्ष और पश्चिमी सागर है । 

जम्बू द्वीप में 9 वर्ष एवं 9 पर्वत हैं जिनमें इलावृत वर्ष के उत्तर में 3 वर्ष , 3 पर्वत हैं , दक्षिण में 3 वर्ष एवं 3 पर्वत है , पूर्व में एक वर्ष और एक पर्वत है तथा पश्चिम में एक पर्वत और एक वर्ष है और केंद्र में इलावृत वर्ष एवं मेरु पर्वत है । 

जंबू द्वीप के 9 वर्षों में भारत वर्ष मात्र कर्मभूमि है शेष वर्षो में वे लोग रहते हैं जो स्वर्ग से बचे हुए पुण्य को भोगते हैं और इन लोगों की उम्र 10,000 वर्ष होती है । ये लोग देवतुल्य होते हैं ।

जैसा पहले भी बताया गया है कि जंबू द्वीप के केंद्र में इलावृत वर्ष है और उसके केंद्र में मेरु पर्वत है । मेरु का तराई क्षेत्र शिव - पार्वती क्षेत्र है जहां यदि भूल कर भी कोई नर पहुंच जाए तो वह स्त्री बन जाता है । 

अब आधुनिक भूगोल के आधार पर गंगा एवं अन्य सहायक नदियों के तंत्र को देखें ⤵️

आधुनिक भूगोल आधारित गंगा परिवार

( ऊपर अलकनंदा , भागीरथी और अन्य सहायक नदियों के तंत्र को दिखाया गया है जिससे गंगा के रहस्य को समझने में मदद मिल 

सके । भागवत के आधार पर गंगा शब्द उसी समय समाप्त हो जाता है जब गंगा ब्रह्मा पूरी में उतरती है और 04 धाराओं में विभक्त हो कर चार अलग - अलग नामों से बहने लगती हैं जैसा पहले स्पष्ट किया गया है ।।

~~ ॐ ~~



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