नर कंकालों की झील रूप कुण्ड
एक कढ़ाई के आकार वाली , 5029 m समुद्रतल से ऊंचाई पर लगभग 2 - 3 मीटर गहरी एवं लगभग ढाई एकड़ क्षेत्रफल वाली नरकंकालों से भरी हुई रहस्यात्मक रूपकुंड झील त्रिशूल पर्वत की गोंदी में स्थित है । इस झील से संबंधित निम्न सूचनाओं को देखें ..
इस झील में लगभग 35 - 40 वर्ष उम्र के 600 - 800 स्त्री - पुरुष के कंकाल पाए गए हैं …
नंदा देवी शिकार आरक्षण के ब्रिटिश रेंजर Mr H.K.Madhawal सन् 1942 में इस झील में नर कंकालों को देखा था ..
तबसे आज तक इस कुण्ड में नर कंकालों की उपस्थिति एक रहस्य बनी हुई है ।
नर कंकालों के साथ इस कुण्ड में , स्त्रियों के लंबे बाल , लकड़ी की कलाकृतियाँ, लोहे के भाले, चमड़े की चप्पलें, और अंगूठियाँ भी मिली है ।
इस कुण्ड के रहस्य के ऊपर भारतीय , जर्मन , ब्रिटिश और अमेरिकन लगभग 16 शोध संस्थानों के वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा शोध किया गया हैं जिसकी रिपोर्ट के 28 सह लेखक हैं । इस अध्ययन की मुख्य लेखिका ईडेओइन हार्ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पीएचडी की छात्र हैं।
सन् 2003 में नेशनल जियोग्राफिक्स की एक टीम 30 कंकाल निकाले थे जिनमें से कुछ पर मांस दिखी थी। यह झील बर्फ में जमी रहती है केवल कुछ सीमित समय के लिए जब बर्फ पिघलता है तब इसमें छुपे नर कंकाल दिखने लगते हैं ।
रूपकुंड झील से 38 कंकालों की डीएनए टेस्टिंग की गई जिनमें से 15 कंकाल स्त्रियों के थे । रिपोर्ट के अनुसार ये कंकाल - अवशेष तीन अलग - अलग समूहों के पाए गए थे।
रिपोर्ट के कुछ अंश इस प्रकार है …
कंकाल अलग - अलग मूल के स्त्री - पुरुषों के थे ।
कुछ दक्षिण एशिया के लोगों जैसी जेनेटिक्स पाई गई है लेकिन वे लोग एक आबादी के नहीं थे।
कुछ की जेनेटिक्स यूरोप के लोगों से मिलते जुलते हैं । खासतौर पर यूनान के द्वीप क्रीट के रहने वालों जैसे हैं।
कुछ कंकाल पूर्वी भूमध्यसागरीय इलाके के लोगों से मिले हैं। इन लोगों का यहां झील तक आने के कारण का कोई पता नहीं चल पाया है ।
जेनेटिक्स के आधार पर कंकालों में से कुछ ऐसे लोगों के हैं जो इस उपमहाद्वीप के उत्तरी हिस्से के लोगों से मिलते हैं जबकि अन्य दक्षिणी हिस्से के लोगों से मिलते हैं ।
# ऊपर व्यक्त 38 कंकाली में 23 कंकाल 800 CE के हैं जिनका संबंध एक विशिष्ट दक्षिण एशियाई वंश से है जान पड़ता है । इन 38 कंकालों में एक व्यक्ति का कंकाल 1800 CE का है जिसका संबंध दक्षिणपूर्व एशियाई वंश से है । 14 कंकाल 1800 CE के विशिष्ट पूर्वी भूमध्यसागरीय वंश के पाए गए हैं । आश्चर्य होता है कि 38 कंकालों में से 14 कंकाल पूर्वी भूमध्यसागरीय लोगों के पाए गए हैं जिनका संबंध यूनान के द्वीप क्रीट से होने की संभावना है । पूर्ण भूमध्य सागरीय लोगों की इतनी संख्या में रूपकुंड आना एक रहस्य ही दिखता है। ऐसी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इन कंकालों में से कुछ कंकाल उन लोगों के भी हो सकते हैं जो हर 12 वर्ष में एक बार यहदं राजजात तीर्थ यात्री के रूप में आते रहे हों । कुमाऊं - गढ़वाल क्षेत्र की परम पवित्र 12 वर्ष में एक बार आयोजित होने वाली नंदा देवी राजजात यात्रा से रूपकुंड का गहरा संबंध है । राज जात यात्रा नौटी गांवों से हेमकुंड तक की 280 Km की 18 दिनों की पैदल यात्रा है। रूप कुण्ड से हेमकुंड की दूरी 7.7 Km है । होमकुंड झील, नंदा घुंटी चोटी के ठीक नीचे है ।
नंदा देवी कैलाशबासी शिव की पत्नी हैं और नौटी गांवों की बेटी मानी जाती हैं । बेटी को माइके के लोग बिदाई करते हैं और इस बिदाई समारोह का नाम है - राजजात यात्रा ।
इस यात्रा का नेतृत्व एक चार सींगों वाली भेड़ करती है । भेड़ के ऊपर एक विशेष प्रकार की थैली में नंदा देवी के श्रृंगार की सामग्री , आभूषण तथा अन्य नाना प्रकारणके gift भी रखे जाते हैं । राजजात यात्रा के आखिरी पड़ाव होमकुंड में भेड़ को कैलाश जाने के लिए छोड़ दिया जाता है इस उम्मीद के साथ कि यह भेड़ नंदा जी के पास सारी सामग्री पहुंचा देगी और लोग वहां से लौट आते हैं ।
रूपकुंड कैसे पहुंचें ?
रूपकुंड पहुंचने के लिए Lohajung पहुंचना पड़ता है जो हरिद्वार से लगभग 270.6 Km है । Lohajung , Didna , Ali Bugyal , Pathar Nachauni , Bjaguwabasa होते हुए रूपकुंड की दूरी 35.4 Km है चढ़ाई लगभग 77 m / Km की है । रूपकुंड से वापिसी की यात्रा रूपकुंड - Bhagwabasa - Pathar Nachauni - Badani Bugyal - Gharoli Patal से Wan तक 22.4 Km पैदल यात्रा है और Wan से kuling होते हुए Lohajung की 19.3 Km की यात्रा रोड वाहन से की जाती है।
।।। हर हर महादेव ।।।
No comments:
Post a Comment