जो पैदा होता है , उसी की मौत भी होती है । हम जिन 25 तत्त्वों के योग से हैं , उनमें 02 सनातन है और शेष 23 प्रकृति के कार्य हैं अर्थात इनका जन्म हुआ है । अतः इन 23 तत्त्वों की मृत्यु भी होती ही होगी । जन्म और मृत्यु के मध्य मनुष्य के लिए योग साधना का मार्ग भी खुला रहता है जो विदेहलय और प्रकृति लय की स्थितियों की अनुभूति माध्यम हमें यह दिखा देता है कि हम कौन हैं ? और हमारा होना क्यों है ?
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