इसके पहले ऋग्वेद के पहले मन्त्र में अग्नि प्रार्थना को देखा गया और अब शुक्ल यजुर्वेद के पहले मन्त्र में सविता देवता की प्रार्थना देखिये ।
सूर्योदय के ठीक पहले पूर्व दिशा में आकाश में जो दृश्य बनता है, वह सविता देव हैं । त्रिपदी गायत्री में सविता के सम्बन्ध में बताया गया है । अब देखिये यजुर्वेद मन्त्र : 1.1 और उसका शब्दार्थ नहीं भवार्थ को ⬇️
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