भारतीय दर्शनों में धर्म की एक झलक🌷
⚛️ श्रीमद्भागवत पुराण : 1.2
# धर्म वह जो प्रभु से जोड़े। # धर्म का फल मोक्ष और जीवन का फल तत्त्व - जिज्ञासा है ।
⚛️ श्रीमद्भागवत पुराण : 1.3
प्रभु श्री कृष्ण जब स्वधाम जा रहे थे तब उनके संग धर्म और ज्ञान भी यहाँ से स्वधाम चले गए ।
⚛️ श्रीमद्भागवत पुराण : 1.11.39
अहँकार ईश्वर को अपने धर्म से युक्त मानता है ।
◆ धर्म का शाब्दिक अर्थ है - धारण करने योग्य और कुछ ज्ञानी कहते हैं , एकनिष्ठ भाव से प्रभु चिंतन ही धर्म है ।
★ धर्म वह अनुशासित जीवन क्रम है जिसमें लौकिक उन्नति (अविद्या ) तथा आध्यात्मिक परम गति ( विद्या ) दोनों की प्राप्ति होती है । अविद्या की गहरी परख , विद्या में पहुंचाती है।
पतंजलि कैवल्य पाद सूत्र : 12 + 13
धर्म त्रिगुणी और समयाधीन हैं लेकिन इनकी सत्ता तीनों कालों में रहती है । धर्मों में समय के अनुसार बदलाव आता रहता है ।
~~ ॐ ~~
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