पतंजलि समाधि पाद का समापन समाधि की खुशबू से हुआ था । अब साधन पाद में समाधि में शरणागत होने की विधियों के सम्बंध में बताया जाएगा । पहले क्रियायोग के तीन अंगों , तप , स्वाध्याय और ईश्वरप्रणिधान के सम्बन्ध में देखा गया और आज सूत्र - 2 में देख रहे हैं कि चित्त में समाधि भाव की लहरें जब उठाने लगती हैं तब क्लेष ( दुःख के हेतु ) तनु अवस्था में आ जाते हैं
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