पतंजलि साधन पाड़ में कुल 55 सूत्र हैं । इन सुत्रों को क्रियायोग , क्लेष , दुःख , द्रष्टा - दृश्य , कृतार्थ - समाधि और अष्टांगयोग के पांच अंगों में विभक्त करके हम यहाँ अध्ययन कर रहे हैं । आज हम द्रष्टा ( पुरुष ) और दृश्य ( प्रकृति ) के संबंध में देखने जा रहे हैं । हमारा अगला सोपान कृतार्थ - समाधि भाव होगा जबकि समाधि भाव को पहले भी देखा जा चूका है लेकिन कृतार्थ के साथ इसे पुनः देखना कृतार्थ को और अधिक स्पष्ट रूप में समझना संभव होगा ⬇️
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