Saturday, April 2, 2022
सगुण - निर्गुण और सक्रिय - निष्क्रिय दो ऊर्जाओं जिनसे यह संपूर्ण व्यक्त हैं , वे दोनों अव्यक्त हैं
प्रकृति - पुरुष या माया - ब्रह्म या क्षेत्र ( हमारा स्थूल देह ) और क्षेत्रज्ञ अर्थात जीवात्मा से क्रमशः सांख्य दर्शन और एंड 05 वैदिक दर्शनों के आधार पर सभीं जड़ - चेतन हैं , थे , हो रहे हैं और हो - हो करः अव्यक्त हिट जा रहे हैं ।
गीता श्लोक : 2.28 में प्रभु श्री कृष्ण कहते भी हैं , " हे अर्जुन ! जो यह राजा - महाराजा आज यहाँ दिख रहे हैं , तुम और अन्य सभीं अव्यक्त से व्यक्त हुए हैं और सभीं मृत्यु के बाद पुनः अव्यक्त हो जाने वाले हैं । हम का वर्तमान दो अव्यक्तो का मध्य है फिर तुम इन सबकी मौत के लिए क्यों व्याकुल हो रहे हो?
अब तीन स्लाइड्स के माध्यम से अभी तक जो कुछ भी इन दो ऊर्जाओं के सम्बन्ध में बताया गया हैं , उनके संबंध में सांख्य की 21 कारिकाओं को विस्तार से समझते हैं 👇
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