प्रकृति और पुरुष का प्रत्यक्ष बोध संभव नहीं केवल अनुमान से संभव है क्योंकि दोनों अति सूक्ष्म हैं । 16 स्लाइड्स में सांख्य दर्शन के प्रकृति - पुरुष से परिचय कराने की इस शृंखला के अंतर्गत अब हम आगे की यात्रा में तीन और स्लाइड्स को देखरहे हैं । यहाँ 07 भावों से बधी हुयी प्रकृति को ज्ञान प्राप्ति सम्बंधित सांख्य - ज्ञान को देख रहे हैं । ध्यान रहे जी जड़ प्रक्रियी जिसे स्वयं का ज्ञान नहीं , वह पुरुष से जूझने से स्व बोधी बन जाती है आत् पुरुष को अपनीं जाल से मुक्त होनें मरण मदद करती है।
No comments:
Post a Comment