सांख्य दर्शन में तीन प्रकार के दुःख और तीन प्रकार के प्रमाण के सम्बन्ध में निम्न स्लाइड्स को देखें ।
प्रमाण वह माध्यम हैं जिनके सहयोग से वास्तु विशेष के सम्बन्ध में जाना जाता है । दुःख तीन प्रकार के हैं ; पहली श्रेणी इन दुःखोंसे है जिनको हम स्वतः उत्पन्न करते हैं अर्थात जिनकी जननी हम स्वयं हैं , दूसरे दुःख वे हैं जो औरों से मिलते हैं और तीसरे प्रकार के दुःख वे हैं जो दैवी दुःख होते हैं ।
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