सांख्य दर्शन में 50 प्रकार की बुद्धि
संदर्भ : कारिका 46 - 52 ( 07 कारिकाएँ )
सांख्य दर्शन में 50 प्रकार की बुद्धि ⤵️
कारिका : 46 - 48
#:बुद्धि को महत् और प्रत्यय भी कहते हैं #
बुद्धि या प्रत्यय सर्ग (सृष्टि ) 04 प्रकार की हैं - विपर्यय , अशक्ति , तुष्टि और सिद्धि
इन चारों में गुणों की विषमताके कारण ….
🌷बुद्धि सर्ग के कुल 50 भेद निम्न प्रकार से हैं
1 - विपर्यय 05 प्रकार की है
2 - इन्द्रियों की विकलता से अशक्ति 28 प्रकार की है
3 - तुष्टि 09 प्रकार की है
4 - सिद्धि 08 प्रकार की है
(ऊपर स्लाइड में 50 प्रकार की बुद्धियों को देखें )
1.1 विपर्यय के भेद - उपभेद
1- तम 08 प्रकार का है
2 - मोह 08 प्रकार का है
3 - महामोह ( आसक्ति ) 10 प्रकार का है
4 - तामिस्र ( क्रोध )18 प्रकार का है
5 - अंधतामिस्र (अहंकार ) 18 प्रकार का है
इस प्रकार विपर्यय 62 प्रकार की हुई
# कारिका : 49
अशक्ति के कुल 28 भेद हैं
# कारिका : 50 + 51
💐 आध्यात्मिक तुष्टि निम्न 04 प्रकार की है
1 - प्रकृति 2 - उपादान 3 - काल और 4 - भाग्य
👌 बाह्य तुष्टि 05 तन्मात्रों के उपादान रूपी 08 प्रकार की होती है ।
👌 08 प्रकार की सिद्धियाँ ⤵️
ऊह , शब्द , अध्ययन , तीन प्रकार के दुःखों का विघात , सुहृत्प्राप्ति और दान
👍 सिद्धियों के 03 बाधक हैं
👉 विपर्यय , अशक्ति और तुष्टि
# कारिका : 52
💐 भाव सृष्टि के बिना लिङ्ग सृष्टि की कल्पना नहीं हो सकती लिङ्ग सृष्टि के बिना भाव सृष्टि की निष्पत्ति नहीं हो सकती है अतः भौतिक और प्रत्ययय ऐसी दो प्रकारकी सृष्टि प्रवृत्त होती है ।
1 - भाव सृष्टि या प्रत्यय ( बुद्धि ) सृष्टि में विपर्यय ,अशक्ति आदि आती है , देखे सूत्र : 46 - 51 तक )
2 - लिङ्ग सृष्टि को तन्मात्र सृष्टि या भौतिक सृष्टि भी कहते हैं
~~ॐ ~~
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