( स्लाइड में प्रभु श्री कृष्ण की फोटो रामानंद सागर कृष्ण सीरियल के ली गई है )
महर्षि पतंजलि योग सूत्र दर्शन में समाधि , साधन , विभूति और कैवलय नाम से चार पाद ( अध्याय ) हैं . इन चार अध्यायों में 195 सूत्र हैं । महर्षि पतंजलि ईश्वर संबंधित 07 सूत्र समाधिपाद में और दो सूत्र साधन पाद में दिए हैं , जिनका सार आगे दिया जा रहा है ।
सांख्य दर्शन और पतंजलि योग दर्शन एक दूसरे के पूरक दर्शन हैं । सांख्य दर्शन के बिना पतंजलि योग दर्शन का होना संभव नहीं और बिना पतंजलि योग दर्शन , सांख्य दर्शन के तत्त्व ज्ञान को ठीक - ठीक समझना संभव नहीं ।
यह देख कर आश्चर्य होता है कि सांख्य दर्शन में ईश्वर शब्द नहीं है पर सांख्य दर्शन आधारित पतंजलि योग दर्शन में पुरुष विशेष रूप में ईश्वर को चित्त वृत्ति निरोध के उपायों में एक उपाय के आलंबन के रूप में दिखाया गया है । सांख्य में तत्त्वों की संख्या 25 है और पतंजलि योग दर्शन में भी यह सांख्य 25 ही है लेकिन पुरुष तत्त्व के अंतर्गत पुरुष विशेष रूप में ईश्वर को भी बताया गया है ।
अब पतंजलि योग दर्शन में ईश्वर संबंधित 09 सूत्रों के सार को देखते हैं और सार देखने के बाद सूत्रों का हिंदी में भावार्थ भी देखेंगे ।
पतंजलि का ईश्वर , ॐ ( प्रणव ) है जिसका जाप करने से चित्त की वृत्तियाँ शांत होती हैं और योग साधना में आने वाली सभीं बाधाएं दूर होती हैं । ईश्वर क्लेश , कर्म , कर्मफल और चित्त से अछूता है । यह सनातन , सर्वश्रेष्ठ , पूर्व में उत्पन्न सभीं गुरुओं का गुरु है और सर्वज्ञता का बीज है। अब सूत्रों को देखते हैं⬇️
1 - समाधि पाद सूत्र - 23
चित्त वृत्ति निरोध के अन्य उपायों के अतिरिक्त ईश्वर प्रणिधान भी एक उपाय है ।
2 - समाधिपाद सूत्र - 24
पुरुष विशेष ईश्वर , क्लेश , कर्म , विपाक ( कर्म फल ) और आशय (चित्त ) से अछूता है ।
05 क्लेशों और उनकी 04 अवस्थाओं को यहां देखें ⬇️
साधनपाद सूत्र : 13 - 14 में पतंजलि कहते हैं , क्लेशों के रहते मोक्ष पाना संभव नहीं ।
3 - समाधिपाद सूत्र - 25
तत्र + निरतिशयम् + सर्वज्ञबीजम्
पुरुष विशेष ईश्वर सर्वश्रेष्ठ है और सर्वज्ञता का बीज है ।
4 - समाधिपाद सूत्र - 26
ईश्वर सनातन है । यह पूर्वकाल में उत्पन्न सभीं गुरुओं का भी गुरु है।
5 - समाधि पाद सूत्र - 27
ईश्वरका सम्बोधन प्रणव (ॐ ) है ।
6 - समाधि पाद सूत्र : 28
प्रणवका अर्थ समझते हुए उसका जाप करें ।
7 - समाधिपाद सूत्र - 29
जाप करने से अपने अंदर चेतन का बोध होता है और योग साधनामें आने वाली सारी बाधाएं दूर हो जाती है ।
8 - 🌷पतंजलि साधन पाद सूत्र - 1
क्रियायोग का तीसरा अंग ईश्वर प्रणिधानि है ⬇️
साधन पाद सूत्र : 10
" क्रियायोगसे क्लेशोंका नाश होता है "
9 -🌷पतंजलि साधन पाद सूत्र - 45
ईश्वर प्रणिधानि अष्टांगयोग के दूसरे अंग नियम का पांचवां अंग भी है । नियम के 05 अंगों को यहां देखें ⬇️
~~ ॐ ~~
No comments:
Post a Comment