श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय - 14
अध्याय : 14 का सार …
★ गीता अध्याय : 12 श्लोक : 1 के मध्यमसे अर्जुन जानना चाहते है , साकार एवं निराकार भक्तोंमें उत्तम योगवित् कौन होता है ?
इस प्रश्नके सन्दर्भमें गीता अध्याय : 14 के प्रारंभिक 20 श्लोक हैं और श्लोक : 14.21 में अर्जुन गुणातीतके सम्बन्धमें जानना चाहते हैं ।
🌷 गीता अध्याय : 2 श्लोक - 54 में अर्जुन स्थिरप्रज्ञ योगी की पहचान जानना चाहते हैं और यहाँ गुणातीत की पहचान पूछ रहे हैं जबकि स्थिरप्रज्ञ योगी का योग जब सिद्ध हो जाता है तब वह गुणातीत हो जाता है । गुणातीत योग की मोक्ष से ठीक पहले की स्थिति होती है ।
☸ गुणातीत को पतंजलि योग में निम्न प्रकार बताया गया है ⤵️
🐧 पतंजलि योग सूत्र समाधि पाद सूत्र : 17 में 04 प्रकारकी संप्रज्ञात समाधि बतायी गयी है - वितर्क , विचार , आनंद और अस्मिता
🌷वितर्क , विचार और आनंद सम्प्रज्ञात समाधियों की सिद्धि प्राप्त योगी प्रकृतिलय सिद्ध योगी होता है और अस्मिता (अहं ) सम्प्रज्ञात समाधि सिद्धि प्राप्त योगी विदेहलय योगी होता है ।
➡️ यहाँ प्रकृति लय योगी गुणातीत योगी होता है।
★ सात्विक गुणकी ऊर्जा अंतःकरणको प्रभुसे जोड़ती है ।
● राजस गुणकी ऊर्जासे मनुष्य आसक्ति , काम , कामना , क्रोध और लोभ से जुड़ता है । तामस गुणकी ऊर्जासे मनुष्य अज्ञान , मोह , भय और आलस्यसे जुड़ता है ।
● श्लोक : 14.5
➡️देहमें देही को 03 गुण बाध कर रखते हैं ।
➡️श्लोक : 14.10
यहाँ गुण समीकरण दिया गया हैं ; एक गुण अन्य दो को दबा कर प्रभावी होता है अर्थात जब एक गुण प्रभावी होता है तब अन्य दो अप्रभावी रहते हैं ।
✡ गीता अध्याय : 14 के बिषय
~~◆◆ ॐ ◆◆~~
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