दूसरे के चित्त को जानना - इस बिषय पर महर्षि कह रहे हैं , जिसके चित्त को जानना हो , इसके ज्ञान को जानो । ऐसा करने से उसके चित्त के स्वभाव को तो जाना जा सकता है लेकिन चित्त के विषय को नहीं जाना जा सकता । अगले सूत्र में कह रहे हैं , उस व्यक्ति के हृदय पर संयम करने से उसके चित्त को जाना जस सकता है । संयम को दुबारा समझलें क्योंकि संयम सिद्धि के सिद्धियां मिलती है । धारणा , ध्यान और सबीज समाधि का एक दांत घटित होना , संयम है ।
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