चित्त जड़ है , न स्वयं को समझता है न अन्य को लेकिन पुरुष ऊर्जा में वह समझने लगता है । चीत्त प्रकृति का कार्य है अतः वह त्रिगुणी होगा ही पर पुरुष के लिए उपकारी भी है ।
मन , बुद्धि और अहँकार का संयोग , चित्त है । 13 करणों में यह अंतःकरण कहा जाता है शेष 10 करणों को बाह्य करण कहते हैं । 10 इन्द्रियां , बाह्य करण हैं ।
चित्त सम्बंधित कुछ स्लाइड्स ⬇️
1⃣चित्त वृत्तियाँ और भूमियाँ
2⃣मन की अवस्थाएँ / चित्त की भूमियाँ दोनों एक हैं ⬇️
3⃣चित्त की भूमियाँ , वृत्तियाँ , क्लेष ,
बुद्धि और बुद्धि की वृत्तियाँ ⬇️
~~◆◆ ॐ◆◆~~ 20 अक्टूबर
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