चित्त के सम्बन्ध में
पतंजलि कैवल्य पाद के 13 सूत्र ⬇️
कैवल्य पाद सूत्र : 2 , 4 + 5 + 6
कैवल्य पाद सूत्र - 2
"जन्म के अंतर का परिणाम प्रकृति की आपूर्ति से होता है "
सिद्धि प्राप्त योगी अपनें संकल्प मात्र से कोई भी रूप धारण कर सकता है और उसे ऐसा करने में प्रकृति सहयोग करती है ।
● ध्यान से निर्मित चित्त क्लेश - कर्म वासनाओं से मुक्त होता है ।
~~◆◆ ॐ ◆◆~~
● संकल्प से निर्मित चित्त निर्माण चित्त होता है जो अस्मिता से निर्मित होता है ।
● जब योगी एक से अनेक शरीर बना लेता है तब उन शरीरों में अगल - अलग निर्माण चित्त होते हैं जिनका नियंत्रण योगी के मूल चित्त से होता है ।
कैवल्य पाद सूत्र : 15
चित्तानुसार वस्तु दिखती है
कैवल्य पाद सूत्र : 16
संसार चित्तके अधीन नहीं और जब संसार किसी चित्तका बिषय नहीं तब उसका क्या होगा ? पतंजलि प्रश्न उठा रहे हैं ।
कैवल्य पाद सूत्र : 17
जिस वस्तु का प्रतिविम्ब चित्त पर नहीं बना होता , उस वस्तु को चित्त नही समझता।
कैवल्य पादसूत्र : 18
चित्त परिवर्तनशील है और उसका स्वामी पुरुष अपरिवर्तनीय ।
कैवल्य पाद सूत्र : 19 - 20
चित्त जड़ है अतः उसे स्वयं का ज्ञान नहीं होता और दूसरों को भी नहीं जानता , केवल पुरुष ज्ञानी है । पुरुष के साक्षित्व में स्मृति में चित्त सूचनाओं को धारण करता है।
कैवल्य पाद सूत्र - 21
एक चित्त दूसरे चित्त का दृश्य है । दूसरा अन्य चित्त का दृश्य होता है । एक जीवन में अनेक चित्त होते हैं । चित्त बदल रहा है अतः स्मृतियां भी बदलती रहती हैं ।
कैवल्य पाद सूत्र : 23
चित्त प्रकृति - पुरुष संयोग भूमि है ।
कैवल्य पाद सूत्र : 24
चित्त असंख्य वासनाओं से विचित्त होने के साथ अन्य 23 तत्त्वों से मिलजुल कर कार्य करने वाला और और परार्थ भी है ।
~~◆◆ ॐ◆◆~~19 अक्टूबर
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