Saturday, May 11, 2013

वह जहाँ सत्य बसता है

जानता था मैं उनको ....
आज से नहीं बचपन  से , हम एक दूसरे के काफी करीब रहे थे 
लेकिन इधर लगभग 20 सालों से हम एक दूसरे से दूर हो गए थे 
पर यह दूरी भौतिक दूरी थी  , हम दोनों का तन एक दूसरे से दूर तो थे 
लेकिन दिल एक दूसरे से बेहत करीब थे /

ही होगी उनकी उम्र लगभग 75 साल की 
मेरे से तकरीबन पांच साल तो बड़े रहे ही होंगे / जब मैं पढ़ाई प्रारम्भ की थी तब शायद ही कोई दिन रहा हो जिस दिन उनकी मुलाक़ात गाँव के मध्य में स्थित पीपल पेड़ के नीचे न होती रही हो , बड़े ही खुश दिल मिजाज के ब्यक्ति थे और जीवन भर अविवाहित रहे / 

आज न जानें मुझे क्या हुआ कि 20 साल बाद गाँव की याद आई और मैं उठाया थैला और चल पड़ा / गाँव पहुँच कर क्या देखता हूँ कि जिस पीपल पेड़ के नीचे अपनी एक भैस के साथ करीमन भाई लगभग एक दर्जन बच्चों के साथ अपनी महफ़िल लगाये हुए मिलते थे , आज उसी पेड़ के नीचे उनका जिस्म एक सफ़ेद चादर में लिपटा जमीन पर विश्राम कर रहा है और उनकी वह भैस उनके ही बगल में चुप चाप बैठी हुयी है / जब मैं उनको जमीन पर पडी देखा तो उनकी पिछली  सारी जिंदगी मेरी नज़र में उतर आयी और मैं महशूश करनें लगा कि वास्तवव में जिसके लिए हम जीवन को मशीन बना कर भाग रहे  हैं , वह सच्चाई नहीं है , सच्चाई तो यह है ----- /
करीमन भाई थे तो निहायत गरीब पर उनका दिन किसी बादशाह से कम न था / 
करीमन भाई को कभीं भी मैं नये कपड़ों में नहीं देखा था लेकिन आज उनकी लाश को नया वस्त्र मिल गया और उनकी आत्मा को भी नया देह मिल गया होगा /

क्या है प्रकृति की गणित ----

जीवन गुजरता है तन ढकने की कोशिश में 
जीवन गुजरता है , पेट की जरुरत को पूरी करनें में 
जीवन गुजरता है अपनों की जरुरत को पूरा करनें की कोशिश में 
जीवन गुजरता है अहँकार - कामना की खुराक इकट्ठा करने में 
और ...
धीरे - धीरे जीवन घटता जाता है और जरूरते बढ़ती जाती हैं 
और .
एक दिन वही मिलता है जो करीमन भाई को मिला //

=== ओम् =====