Tuesday, April 30, 2013

अँधेरे में तो कहीं हम नहीं चल रहे ?


  • ज़रा रुकना , कहीं आप भोजन तो नहीं कर रहे ?
  • क्या आप जानते हैं कि यह सब्जी कितनी पुरानी है ?
  • जी नहीं , आप भ्रम में हैं , आप की सोच गलत है ?
  • आप इतनी पुरानी सब्जी खा रहे हैं जिसकी  कल्पना आप की बुद्धि में कभी नहीं उठी /
  • आप की पत्नी को यह सब्जी बनानें की कला उनकी माँ से मिली /
  • पत्नी की माँ को यह बिरासत  में उनकी माँ से मिली थी /
  • और यह क्रम चलता रहा और चल रहा है /
  • लेकिन  इस बात पर हमनें कभीं सोचा भी नहीं /

कहते हैं , जबाना  बदल गया , क्या ख़ाक बदल गया ?
 जो हम ग्रहण कर रहे हैं , वह सब कितना प्राचीन है , कुछ कहना संभव नहीं /

लेकिन यह सब होते हुए भी एक बात है ......


  • आज का बैगन , आलू , चावल ,दूध आदि सब भोजन सामग्री की नश्ल बदल गयी है /
  • भोजन बनानें की टेक्नोलोजी लगभग प्राचीन है लेकिन भोजन का स्वाद बदला हुआ है /
  • हम लगभग अपनें बुजुर्गों की तरह दिखते हैं , लेकिन हमारी सोच बदल गयी है /
  • सभी जड़ी - बूटियाँ - बनस्पतियाँ सब बदल गयी हैं लेकिन आयुर्वेद वही है /
  • विद्यालय वहीं हैं लेकिन पढ़ाई बदल गयी है /
  • अध्यापक देखनें में वैसे हैं लेकिन उनका दिल बदल गया है /
  • किताबें हैं लेकिन उनका रंग बदल गया है /

यदि हम अपनें दैनिक जीवन में झांकते रहें तो उस का आभाष होनें लगता है जो इस बदलाव 
के पीछे है /
कहीं इस बदलाव की ऊर्जा उसी की तो उर्जा नहीं ....
जिसकी तलाश हमें कहीं टिकनें नहीं दे रही //

=== ओम् =====



Thursday, April 18, 2013

ज़रा रुकना ....


  • कौन सुनता है मंदिर के घंटों की आवाज को ?
  • कौन सुनता है मस्जिद के मीनारों से आ रही आयतों को ?
  • कौन सुनता है गुरुद्वारे से आ रही गुरुबानी को ?
  • कौन सुनता है वेद मन्त्रों को ?
  • कौन सुनता है गायत्री छंद को ?
  • कौन सुनता है माँ के आशीर्वाद को ?
  • कौन सुनता है जबानें की आवाज को ?
  • कौन सुनता है गोदी के बच्चे की किलकारी को ?
  • कौन सुनता है भूख की कराह को ?
  • कौन सुनता है सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में गूँज रही ॐ की धुन को ?
  • कौन सुनता है अपनें किये गए कुकर्मों की पुकार को ?


ज्यादा नहीं बश एक घडी अकेले में ...
अमृत बेला में ...
आँखों को बंद करके ....
ज़रा अपनें सीनें की धडकनों के संगीत को सुनना ...
जहाँ ...
और 
जिसमें ...
आपको सभीं प्रश्नों के उत्तर मिल जायेंगे 

==== ओम् ====

Tuesday, April 9, 2013

कौन और कबतक ......


  • कौन मेरा है ?
  • कौन तेरा है ?
  • जो मेरा है , कबतक मेरा रहेगा ?
  • जो तेरा है , वह कबतक तेरा रहेगा ?
  • जो मेरा है ,क्या  वह तेरा नहीं ?
  • जो तेरा है , क्या  वह मेरा नहीं ?
  • जो मेरा है , क्या  वह तेरा नहीं हो सकता ?
  • जो तेरा है , क्या वह मेरा नहीं हो सकता ?
  • मेरा की कितनीं लम्बाई है ?
  • तेरा की लम्बाई क्या है ?
  • क्या मेरा और तेरा समाप्त नहीं हो सकते ?
  • जब मेरा और तेरा समाप्त होते हैं तब क्या होता है ?

इतनें सारे प्रश्नों में उलझनें के बाद बुद्धि जहाँ रूकती है , उसका नाम है -----
कन्हैया 
और जो इस दशा में होता है ,
 वह गाता है ----
करते हो तुम कन्हैया , मेरा नाम हो रहा है 
पतवार के विना मेरी नाव चल रही है 

अब्यय , निर्विकार , एक अक्षर , एक ओंकार , अप्रमेय , जो चाहे वह कह लो ---
लेकिन वह निर्विकार चित्त निर्विकार बुद्धि का बासी जरुर है 

==== ओम् ======