Sunday, July 31, 2022

पतंजलि विभूति पाद का अंतिम सूत्र , सूत्र - 55 > प्रकृति -पुरुष स्वतंत्र सनातन दो अलग - अलग तत्त्व हैं

यहाँ विभूति पाद पूरा होता है और कैवलयं पाद का द्वार खुलता है । अगले कुछ लेखों में के माध्यम से हम पतंजलि के अंतिम पाद की यात्रा करने वाले हैं //इति मङ्गलं //

Thursday, July 21, 2022

पतंजलि विभूति पाद : 43 महाविदेहा की सिद्धि प्राप्त करना > Out of body experiencing

यहाँ जो स्लॉइड दी जा रही है , वह मात्र - विभूति पाद सूत्र - 43 के लिए बनायीं गयी है । महा विदेहा पतंजलि योग साधना की एक अवस्था है जहाँ साधक अपने चित्त को अपनें देह के बाहर अकल्पिता देखता है । यह अवस्था वितर्क , विचार , आनंद और अस्मित - इन चार प्रकार की सम्प्रज्ञात समाधियों में अस्मित सम्प्रज्ञात समाधि सिद्धि में आती है । इस बिषय पर विस्तार से आगे चल के कुछ और स्लाइड्स दी जाएंगी जिससे Out od body experience को थीक से समझा जा सके ।। ॐ ।।

Thursday, July 7, 2022

पतंजलि विभूति पाद सूत्र : 23 - 24 > मित्रता किससे करें ? और दूसरे के बल को कैसे प्राप्त करें ?

महर्षि पतंजलि विभूति पाद : 23 - 24 में दो ज्ञान देते हैं ⬇️ 1 - मित्रता किससे करनी चाहिए ? 2 - सिद्धि - 7 में बता रहे हैं कि दस्ते की शारीरिक शक्ति को कैसे प्राप्त करें ? पहले ज्ञान में महर्षि कह रहे हैं , सुखी व्यक्ति से मित्रता करनी चाहिये और मित्रता से बल मिलता है दूसरे ज्ञान में कहते हैं , जिस व्यक्ति के बल को प्राप्त करना हो उसके शरीर पर।संयमे5 सिद्धि प्राप्त करनी चाहिए । दजर्न , ध्यान और समाधी6 का एक साथ घटित होने संयम है । महाभारत प्रारम्भ होने से थीकं पूर्व जब दोनों सेनाएं आमने - सामने कड़ी थी तब प्रभु श्री कृष्ण अर्जुन के रथ को कौरव सेना के मध्य ठीक उस जगह पर खड़ा की थी जहाँ कौरव सेना के प्रमुख महारथी खड़े थे । ऐसा कृष्ण क्यों करते हैं ? यहाँ कृष्ण चाहते हैं कि कौरव सेना के प्रमुख महा रथियों के शारीरिक बल को शक्ति पात माध्यम से और महर्षि पतंजलि के विभूति पाद सूत्र - 24 में दी गयी सिद्धि के अनुसार , अर्जुन को मिल सके ।

Sunday, July 3, 2022

पतंजलि योगसूत्र विभूति पाद - 22 अपनीं आनेवाली मृत्यु की आहट का पता कैसे चले?

महर्षि इस एक सूत्र में बहुत गहरी बात कह रहे हैं । वे कह रहे हैं कि अपने सभीं कर्मों पर संयमे सिद्धि प्राप्त करने से अपनी आने वाली मृत्यु की आहट को सुना जा सकता हैं । दूसरा रास्ता भी बताते हुए कहते हैं कि मृत्यु के थीकं पहले तेज गति से स्मृति सक्रिय हो जाती है । उस स्मृति में तेजी से बदल रहे दृश्यों पर संयम सिद्धि अगर मिल सके तो भी मृत्यु को देखा जा सकता है। तीसरी भी बात करते हुए महर्षि कह रहे हैं कि अंतिम समय जब आता है तब तरह -तरह के अप्सगुन घटने लगते हैं । उनका यदिसही सही विश्लेषण किया जा सके तब भी मृत्यु को देखा जा सकता है । अब देखिये महर्षि के शब्दों को ⬇️

Saturday, July 2, 2022

पतंजलि योग सूत्र विभूति पाद : अंतर्धान होने की सिद्धि प्राप्त करना

पतंजलि विभूति पाद सूत्र : 21 सिद्धि - 05 में यहाँ महर्षि कह रहे हैं , जो अपनें शरीर के स्वरुप पर संयम सिद्धि प्राप्त कर लेता है , वह दूसरों के लिए स्वयं को अंतर्धान कर सकता है । अंतर्धान सम्बंधित अनेक कथाएं पुराणों में मिलती हैं ।

दूसरे के चित्त को कैसे जानें !

दूसरे के चित्त को जानना - इस बिषय पर महर्षि कह रहे हैं , जिसके चित्त को जानना हो , इसके ज्ञान को जानो । ऐसा करने से उसके चित्त के स्वभाव को तो जाना जा सकता है लेकिन चित्त के विषय को नहीं जाना जा सकता । अगले सूत्र में कह रहे हैं , उस व्यक्ति के हृदय पर संयम करने से उसके चित्त को जाना जस सकता है । संयम को दुबारा समझलें क्योंकि संयम सिद्धि के सिद्धियां मिलती है । धारणा , ध्यान और सबीज समाधि का एक दांत घटित होना , संयम है । अब देखें दो स्लाइड्स को ⬇️