Saturday, November 22, 2014
कतरन भाग - 3
Sunday, November 16, 2014
कतरन भाग - 2
Monday, November 10, 2014
कतरन भाग - 1
● कतरन भाग - 1●
# कबतक सहारेके इन्तजार में बैठे और उसके बारे में सोचते हुए समय को बर्बाद करते रहोगे ? क्या तुम्हें अपनें पर भरोषा नहीं कि अकेले कुछ कर
सको ? उठो और कदम बढाओ आगे , समय की गति को कौन जानता है , कहीं देर न हो जाए ।
# तुम भी उनकी तरह ही हो,एक इंच भी उनसे छोटे नहीं , फिर क्यों अपनें को सिकोड़ते चले जा रहे हो ? उठो , उनको प्रणाम करो ,जिनका तुम इंतज़ार कर रहे हो और अहंकार रहित भाव दशा में अपनें भविष्य निर्माण का पहला कदम भरो ।
# सच्ची लगन से तुम अपना पहला कदम तो उठाओ, दूसरा सही कदम स्वतः उठेगा, तुम संदेह क्यों करते हो , संदेह में सत्य असत्य सा दिखने लगता है ।
# पराश्रित रहना स्वयं को जीते जी कब्र में रखनें जैसा है ,मनुष्य हो ; मात्र मनुष्य एक ऐसा प्रकृति का उपहार है जिसके आश्रित संपूर्ण जड़ -चेतन हैं और यदि वह किसी के आश्रय जीना चाहता है तो वह जियेगा सही लेकिन मुर्दे जैसी जिंदगी उसे
मिलेगी ।परमात्मा के सहारे पर भरोषा मजबूत करो। क्या किसी ब्यक्ति के सहारे के भिखारी बनें बैठे हो ? एक भिखारी दुसरे भिखारी को क्या दे सकता है ? ज़रा गंभीर हो के सोचो तो सही ?
# क्या कभीं इस बात पर सोचते हो कि तुम जिससे सहारा चाह रहे हो , वह स्वयं किसी के सहारे का भिखारी है , तुम इतना तो जानते हो कि तुम्हारे अन्दर परमात्मा रहता है जो सभीं सहारों का सहारा है , फिर क्यों बाएं - दायें देख रहे हो कि कोई मिल जाय , उससे बड़ा और कौन है ?
~~ ॐ ~~
Sunday, November 2, 2014
कुछ तो सुनते ही हैं
# पृथ्वी के पास क्या नहीं है ? पेट्रोल , कोयल ,
गैस , सोना ,चांदी , हीरे और वह सब कुछ जिसकी हम कल्पना कर सकते हैं पर क्या कभीं पृथ्वी सीना तान कर कुछ कहती भी है ?
# अब ज़रा अपनें को देखते हैं । क्या हमारे पास कोई ऐसी चीज है जिसको हम पृथ्वी से न चुराए हों ? सोचना पड़ेगा और यह कहते मुह नहीं दुखता कि हमारे पास यह है ,वह है आदि -आदि ,अरे भाई ! जो हमारे पास है ,वह हमारा कैसे हुआ ? क्या किसी चीज पर अपनीं मोहर लगानें से अपनीं हो जाती है ,क्या ?
# क्या पृथ्वी कुछ कहती भी है ? मनुष्य कहेगा जी नहीं , पृथ्वी क्या कहेगी ? लेकिन पृथ्वी भी कहती है जिसकी आवाज मनुष्यको छोड़ अन्य सभीं जीव सुनते हैं और उसकी बात को मानते भी हैं ,ऐसे जीव जिनका सम्बन्ध पृथ्वी से है ।
#अब एक नज़र इस पर भी :
* जब भूकप्प आता है ...
* जब तूसामी अपना जलवा दिखाती है ...
* या कोई अन्य प्राकृतिक आपदा आती है ..
°° तब कौन मरते हैं ?
1- मनुष्य और पालतू जीव जिनको मनुष्य अपनें स्वार्थ - सिद्धिके लिए गुलाम बना रखा है ।
~ पर ~
2- जंगल में प्रकृति की गोद में बसेरा करनें वाले आदि बासी और अन्य जीवोंके मरनें की संभावना बहुत कम रहती हैं ,क्यों ? क्योंकि वे आपदा आनें से पहले पृथ्वी की आवाज को सुन लेते हैं और अपनीं सुरक्षाका बंदोबस्त आपदा आनें से पहले कर लेते
हैं ।
^^ मनुष्य जैसे - जैसे प्रकृति से दूर होता जा रहा है , उसकी तन्हाई बढती जा रही है और प्रकृति जो समझने के लिए उपकरणों का निर्माण करनें में अपनी ऊर्जा लगा रहा है । उपकरणों का निर्माण करो पर स्वयं को प्रकृति से दूर न रखो
# विज्ञान तर्क आधारित है ....
# तर्क संदेह आधारित है ....
~~~ और ~~~
● सत्य तर्क - वितर्क और संदेह से परे है ● ………ॐ ………