त्रिपदी गायत्री जाप जब पद्मासन में किया जाता है तब मूलाधार से सहस्त्रार तक की परम ऊर्जा की यात्रा स्वतः होती है ।
Thursday, September 30, 2021
Sunday, September 26, 2021
क्षीर सागर और पुरुष सूक्त सम्बन्ध
पहली स्लाइड यहाँ दुबारा दी जा रही है केवल क्षीर सागर की भौगोलिक स्थिति को स्पष्ट करने के लिए ।
स्लाइड - 2 और स्लाइड -3 क्षीर सागर और पुरुष सूक्त से सम्बंधित हैं । क्षीर सागर 18 पुराणों का केंद्र है और पुरुष सूक्त में प्रभु के पहले साकार स्वरुप का वर्णन है और जो सभीं साकार का अक्षय पात्र स्वरुप है । श्रीमद्भगवद्गीता में भी परम पुरुष का वर्णन किया गया है।
Saturday, September 25, 2021
भागवत स्कन्ध - 5 आधारित भुवन कोष के अन्य द्वीपों की चर्चा
भुवन कोष की रचना सम्बंधित भागवत स्कन्ध - 5 आधारित सूचनाएं आज समाप्त हो रही हैं । अगले अंक में क्षीर सागर के सम्बन्ध में कुछ बातों को देखा जायेगा ।
भुवन कोष के 07 द्विप और 07 महासागरों की बातों में आज द्वीप - 2 और उसके बाद के द्वीपों के सम्बन्ध में जो सूचनाएं भागवत में उपलब्ध हैं , उनका सार आप यहाँ दो स्लाइड्स के माध्यम से देख रहे हैं । चलिये फिर देखते और समझते हैं इन सूचनाओं को ⬇️
Thursday, September 23, 2021
किम्पुरुष और भारत वर्ष
किम्पुरुष ऐसे नर होते हैं जो बंदरों जैसे दिखते हैं जैसे हनुमान जी थे। संभवतः हनुमान जी किम्पुरुष वर्ष के रहे होंगे । किम्पुरुष श्रीराम के भक्त भी होते हैं ।
अब निम्न 02 स्लाइड्स को देखें 👇
Wednesday, September 22, 2021
जम्बू द्वीप के पश्चिम दिशा का भूगोल
जम्बू द्वीप का केंद्र है मेरु पर्वत जो इलावृत्त वर्ष के मध्य में स्थित है। जम्बू द्वीप के भूगोल श्रंखला को हम 04 भागों में देखे ; उत्तर , दक्षिण , पूर्व और पश्चिम दिशाओं के भूगोल रूप में ।
आज इस श्रंखला का आखिरी भाग यहाँ निम्न स्लाइड के माध्यम से दिखाया जा रहा है जिसमें पश्चिम दिशा का भूगोल दिखाया गया है।
आइये देखते और समझते हैं ⬇️
Tuesday, September 21, 2021
जम्बू द्वीप के पूर्वी भाग का भूगोल
भुवन कोष 07 द्वीपों में विभक्त है । केंद्र में स्थित है जम्बू द्वीप । पहले द्वीपों और सागरों की भौगोलिक स्थितियों को चित्त द्वारा दिखाया जा चुका है ।
जम्बू द्वीप का केंद्र है इलावृत्त वर्ष और उसके केंद्र में स्थित मेरु या सुमेरु पर्वत जो ज्योतिष का केंद्र है और जिसकी चोटियों पर स्थित हैं , देवताओं की पुरियाँ ।
अब आगे स्लाइड देखें ⬇️
Monday, September 20, 2021
भागवत पुराण आधारित भारत वर्ष की सीमाएं
श्रीमद्भगवत पुराण स्कन्ध - 5 में भूमंडल का भूगोल दिया गया है । जितने भी कथा वाचक हैं , सब का केंद्र भागवत स्कन्ध - 10 है । क्या आप जानते हैं कि काशी में स्थित विद्वत सभा सन् 1940 के आस पास भागवत से स्कन्ध - 10 को हटाने का प्रस्ताव रखा था और आज वही स्कन्ध - 10 भागवत का मुख्य आधार बना दिया गया है। करपात्री जी के विरोध के कारण स्कन्ध - 10 को भागवत से नहीं हटाया जा सका ।
भागवत स्कन्ध - 5 पर कथा वाचक चुप रहते हैं , कारण क्या हो सकता है , मुझे पता नहीं ।
07 द्वीपों में बटे भूमंडल का केंद्र है जम्बू द्वीप जो चारो तरफ से खारे पानी के सागर से घिरा हुआ है । जम्बू का केंद्र है इलावृत्त क्षेत्र जिसके केंद्र में है - मेरु पर्वत । इलावृत्त पृथ्वी का केंद्र माना जाता है और यह शिव क्षेत्र होने के साथ ब्रह्मा - इंद्र आदि देवताओं का निवास भी है।
नीचे स्लाइड में आप हिमालय और भारत वर्ष की भौगोलिक स्थिति को वैज्ञानिक दृष्टि से देखें और समझें कि इस सम्बन्ध में क्या आपकी पहले की सोच ठीक है ?
नाभि के पुत्र ऋषभ जी को हिन्दू लोग 08 वे अवतार के रूप में देखते हैं । ऋषभ देव जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भी हैं । ऋषभ जी पहले मनु के पुत्र प्रियव्रत के पौत्र हैं । ऋषभ जी के बड़े पुत्र भरत हैं जिनके नाम पर अजनाभ वर्ष को भारत वर्ष की संज्ञा दी गयी।
अब स्लाइड को देखते हैं ⬇️
Sunday, September 19, 2021
कहाँ है मेरु ( सुमेरु ) पर्वत ?
भूमंडल विस्तार के इस अंक में जो भागवत स्कंश - 5 पर आधारित है , जम्बू द्वीप में स्थित मेरु (सुमेरु ) पर्वत और गंगा जी की भौगोलिक स्थिति जो दिखाया गया है । गंगा ध्रुवलोक से उतर कर मेरु पर स्थित ब्रह्मा जी की सुवर्ण पूरी में आती हैं । यहाँ पहुंचते ही 04 भागो में विभक्त हो जाती हैं तथा चरों दिशाओं में बहती हुई पूर्वी , ओअश्चिमी , उत्तरी और दक्षिणी सागर में समा जाती हैं । स्लाइड - 1 में जम्बू द्वीप के उत्तर भागबक भूगोल दिखाया गया है ।
अब देखिये स्लाइड्स को ⬇️
Saturday, September 18, 2021
भागवत स्कंध -5 भूमंडल का विस्तार क्रमशः
श्रीमद्भागवत पुराण स्कन्ध - 05 के सार रूप में भुवनकोष या भूमंडल विस्तार को यहाँ स्पष्ट करने का यत्न किया गया है ।
इस श्रृंखला के अंतर्गत पहले अंक में दो स्लाइड्स दी गयी थी । पहलू में स्कन्ध - 5 से परिचय कराया गया था । स्लाइड -2 में 07 द्वीपों और 07 सागरों के भौगोलिक स्थिति को दिखाया गया था । अब स्लाइड - 3 और स्लाइड - 4 के माध्यम से स्लाइड - 2 में दिए गए विवरण को और स्पष्ट किया जा रहा है।
स्सात द्वीपों का केंद्र है - जम्बू द्वीप और जम्बू द्वीप का केंद्र है शिव क्षेत्र इलावृत्त जिसके केंद्र में स्थित है मेरु पर्वत ( Mount Meru ) जो बौद्ध , जैन , जावा , हिन्दू तथा कुछ और मान्यताओं के ज्योतिष विज्ञान का केंद्र है ।
आगे व्हाल कर संक्षेप में हम सभीं द्वीपों के सम्बन्ध में देखेंगे।
हर द्वीप एक सागर से घिरा हुआ है अर्थात दी सागरों के मध्य में एक द्वीप है । पिछले अंक की स्लाइड - 2 के साथ स्लाइड - 3 और स्लाइड - 4 को देखें । अब देखते हैं निम्न स्लाइड्स को ⬇️
Thursday, September 16, 2021
श्रीमद्भागवत पुराण आधारित भूमंडल की स्थिति
श्रीमद्भगवत पुराण में भुवनकोष ( भूमंडल ) का नक्शा जो दिया गया है उसे समझने के लिए वैज्ञानिक सोच होनी चाहिए ।
आगे चल कर हम 07 द्वीपों और सागरों को विस्तार से देखा जायेगा लेकिन अभी निम्न स्लाइड को देखते हैं ⬇️
Wednesday, September 15, 2021
जिंदगी और किस्मत
यह जिंदगी एक अजीब पहेली है और किस्मत और भी अधिक गहरी पहेली है । बस ! एक कदम आगे निकालते ही जिंदगी की दिशा तय हो जाती है फिर उसे बदलने का कोई उपाय नहीं होता। मनुष्य की आँखे केवल और केवल आगे देखने के लिए बनायीं गयी हैं , पीछे देखने का कोई उपाय नहीं थीक इसी तरह जिंदगी में कभीं आगे चल कर पीछे लौटने का कोई उपाय नहीं क्योंकि जिंदगी का हर कदमकी दिशा को किस्मत तय करती है ।
जिंदगी का हर कदम किस्मत के बनाये मार्ग पर ही होता है , और कहीं हो भी नहीं सकता लेकिन अहँकार हमें यह महसूस कराता रहता है कि तुम्हारा यह कदम ठीक वहां पड़ा है जहाँ तुम चाहते थे ।
जिंदगी कई एक ऐसी रस्सियों से बधी होती है जिसका इल्म बुद्धि को नहीं होता । किस्मत अपनें द्वारा पूर्व निर्धारित दिशा में ले जा रही है लेकिन इसे हम समझ नहीं पा रहे ।
हमारी सारी खोज सुख प्राप्ति केंद्रित हैं । दुःख मिलता भी है लेकिन वह क्षणिक होता है और उसका फल दुःख का होता है । हमारा हर यत्न सुख खोज रहा है और फिर भी हम दुखी हैं और सभीं जीवधारियों में अपने को सबसे अधिक विकसित बुद्धि वाला प्राणी मानते हैं - क्या यह एक भ्रम नहीं ?
~~ अगले अंक में क्रमशः ~~