Wednesday, April 28, 2021

अष्टावक्र गीता क्रमशः

 अभी हम अष्टावक्र गीता के पात्रों से परिचित हो रहे हैं । जब परिचय पूरा होगा तब हम अष्टावक्र गीता की यात्रा प्रारंभ करेंगे। आज परिचय के अंतर्गत एक और प्रसंग 📚⬇️


Tuesday, April 27, 2021

ऋषि अष्टावक्र भाग - 2

 ★ऋषि अष्टावक्र से सम्बंधित एक कथा ⬇️

अगले अंक में अष्टावक्र गीता -पात्र परिचय में कुछ और बातें , आप के लिए दी जाएंगी ।

// ॐ //

Friday, April 23, 2021

अष्टावक्र गीता : पात्र परिचय :अष्टावक्र से मिलिए

 अष्टावक्र गीता प्रारम्भ करने से पहले इसके पात्रों से परिचय होना आवश्यक है अतः राजा जनक , मित्र -वरुण के बाद आज हम ऋषी अष्टावक्र से मिल रहे हैं।

अष्टावक्र का संक्षिप्त परिचय दो भागों में देखी जा सकती है । आज पहले भागको देख रहे हैं 👇

Monday, April 19, 2021

मित्र वरुण देवता कौन हैं ?

 अष्टावक्र गीता प्रारम्भ करने से पहले हम अष्टावक्र गीता के पात्रों से परिचय कर रहे हैं जिससे आगे चल कर कोई संदेह न हो सके । पहले विदेह राजा जनक से परिचय हुआ और अब जल के देवता मित्र वरुण से मिलते हैं ⬇️

// ॐ //

Sunday, April 18, 2021

अष्टावक्र गीता के राजा जनक कौन थे ?

 अष्टावक्र वक्र गीता भाग - 2 के अंतर्गत पहले पात्रों से परिचय करते हैं । आज राजा जनक के सम्बन्ध में कुछ बातें श्रीमद्भागवत पुराण के आधार पर देखते हैं ।


Friday, April 16, 2021

अष्टावक्र गीता परिचय

 

आज से अष्टावक्र गीता प्रारम्भ हो रहा है । परिचय के रूप में आप के लिए यह स्लाइड दी गयी है ।

अगले अंकों में अष्टावक्र गीता की आगे की यात्रा पर होंगे ।। ॐ ।।

Sunday, April 11, 2021

बुद्धि स्तर पर योग क्या है ?

 इस स्लाइड में परमहंस योगानंद जी की फोटो लगायी गयी है।

Saturday, April 10, 2021

बिखरे मोती

 

समय भाग्य रेखा के संग - संग चलता है । जीवन के संगीत को यदि सुनना हो तो जिंदगी की यात्रा में जब भी कोई ठोकर लगे तो घबड़ाना नहीं , वही रुक जाना और अपनी गलतियों के सम्बन्ध में सोचने के लिए हिम्मत जुटाना वैसे यह है , बहुत कठिन पर इसके अलावा और उपाय भी तो नहीं । कौन देख रहा है , आपको ? किससे डर रहे हैं , आप ? यदि अपनी गलतियों को आप स्वयं नहीं देख सकते तो और कौन देखेगा ?

समय गुरुओं का भी गुरु है , पर्त दर पर्त  गलतियों को दिखाता रहता है लेकिन एक हम हैं जो आँख खोलना ही नहीं चाहते , ऐसी परिस्थिति में हम अपने जीवन यात्रा में बार -बार ठोकरे खाते रहते हैं और चलते रहते हैं ।

इस यात्रामें जीवन का सूरज कब , कहाँ और कैसे डूब जाता है , आहट भी नहीं मिल पाती ।

जीवन यात्रा में कितनी यात्रा हुयी , कितनी बाकी है , इस मुद्दे पर कभीं न सोचना लेकिन इस बात पर हर पल सोचते रहना कि यात्रा होश पूर्ण कर रहे हो या बेहोशी में कर रहे हो !