Wednesday, August 31, 2011

कहानियां भी कुछ कहती हैं

माँ - दादी की गोदी में कहानियां सुनते – सुनते बचपन कब और कैसे गुजर जाता है , कुछ पता नहीं चल पाता / माँ - दादी की कहानियों में दो बाते होती हैं ; एक राजा और एक रानी या परी / बचपन से जब जवानी में कदम पड़ते हैं तब राजा बननें की नशा और एक परी की तलाश में जवानी कब और कैसे गुजर जाती है , कुछ पता नहीं लग पाता / बेटा से भैया बनें , भैया से चाचा बने , चाचा से ताऊ बनें और ताऊ से कब और कैसे दादा बन गए कभीं पता नहीं चल पाता / जीवन पल – पल गुजरता है और वह जो अपनें हर पल का द्रष्टा होता है वह तो जीवन जीता है और वह जो स्वप्न में खोया रहता है वह बेहोशी में अपना जीवन गुजारता है /


वह कौन है जो मौत से लड़ता है?वह कौन है जिसके प्राण जल्दी नहीं निकलते?वह कौन है जो मौत से मैत्री स्थापित करता है?और वह कौन है जो स्व – इच्छा से अपनें जीता है और स्व – इच्छा से मरता भी है?

वह जो मौत से मैत्री युवावस्था में मित्रता स्थापित कर लिया वह गुणातीत योगी हो जाता है जो

स्व – इच्छा से जीता है और स्व – इच्छा से मरता भी है / वह जिसके जीवन का केंद्र परमात्मा होता है वह जीवन जीता है और परम आनंद में अपनें प्राण त्यागते हुए संसार को धन्यबाद देता है /

वह जिसके जीवन का केन्द्र राग – मोह – अहंकार रहा होता है वह कभीं नहीं समझ पाता कि उसे एक दिन जाना होगा और जब मौत सामनें खडी दिखती है तब वह मौत से भी लड़ता है क्योंकि उसका जीवन लड़ाई में ही गुजरा होता है , उसे लडनें का अच्छा अनुभव जो हुआ होता है /

जहां हो वहाँ से ऊपर उठो

जहां हो वहाँ से उसे देखो

जहां हो वहाँ से अपनें को देखो

और ऐसा देखनें का अभ्यास एक दिन उसे दिखा देगा जो जन्म , जीवन एवं मृत्यु भी है //


===== ओम =======


Wednesday, August 24, 2011

कितनें लंबे और कितनें छोटे


मनुष्य के हाँथ कित्तानें लंबे हैं और कितनें छोटे?


जेनेवा के पास भूमिगत एक टनेल का निर्माण हुआ/विश्व के सभीं अग्रणी देशों के वैग ्रानिकों का दिमाक और असीमीत धन के साथ प्रयोग प्रारंभ हुआ/आज के वैज्ञानिक स्वकल्पित बिग बैंग सिद्धांत के ऊपर खूब सोच रहे हैं/बिग बैंग सिद्धांत की बुनियाद इस बात पर आधारित है ….....

आज से लगभग14 billionसाल पहले कहीं किसी विशेष परिस्थिति में लगभग100 million light yearsक्षेत्रफल का एकhydrogen atomबना और उसमें विस्फोट हुआ,जिसके फल स्वरुप उस विस्फोट के टुकड़ों में से एक अति सूक्ष्म कण[एक प्रोटोन से भी छोटे कण]से ब्रह्माण्ड की रचना हुई और

उच्च तापक्रम एवं दबाब में कुछ ऐसा हुआ जिसके फल स्वरुप जीव पैदा करनें का कण भी बना/

इस प्रोजेक्ट पर अभीं तक इतना धन लग चुका है कि यदि इस धन को जन कल्याण कामों में लगाया जाता तो सम्पूर्ण जगत से गरीबी दूर हो सकती थी/


अब वैज्ञानिक यः कह रहे हैं कि इस प्रयोग से उन परिस्थितियों तक पहुँचना कठिन हो त=रहा है जिन परिस्थितियों में जीव – कण का निर्माण हुआ होगा/यः शोध जो चल रहा है उसका आधार है

quantum mechanics /क्वांटम विज्ञान की बुनियाद मैक्स प्लैंक के आविष्कार से पडी और मैक्स प्लैंक का कहना है …....

वैज्ञानिक शोध में जब कुछ दूरी तय कर लेता है तब समझता है की अब सीमा ज्यादा दूर नहीं,लेकिन जब अपनी वर्त्तमान स्थिति को देखता है तब उसे यह मह्शूश होता है कि वह तो पहले से भी दो कदम पीछे सरक चुका है/


विज्ञान का जेनेवा में चल रहा शोध मात्र परमात्मा रहित जीव पैदा करनें की ओर रखा एक कदम है लेकिन दुनिया का जब इतना अधिक धन लगा कर मात्र इतना सिद्ध करना कि परमात्मा नहीं है,कितनी बुद्धिमानी है?इस बात पर आप सोचना//



हमारी सोच तो इतनी लंबी है लेकिन हमें इतना भी पता नहीं कि हम अगली श्वास भी ले पायेंगे या नहीं/

मनुष्य के सोच की लम्बाई इतनी बड़ी है कि वह सोच में पैदा होता है और सोच में ही कहीं एक दिन चला जाता है वह भी बेहोशी में/हमारी नज़र दूसरों पर इतनी गहरी बैठ चुकी है कि स्वयं पर लौट कर् आती ही नहीं और हम तनहाई का जीवन जीते हुए तनहाई में सफर कर जाते हैं//

=====ओम=====




Thursday, August 11, 2011

यहाँ कौन है बेईमान

यहाँ कौन बेईमान है ?

राजा ?

प्रशासक ?

या …

फिर जनता //


प्रजा तंत्र में राजा की नियुक्ति प्रजा के हाँथ में है और भारत की जनता पिछले कई सालों से किसी एक दल को मौक़ा नहीं दे रही पूर्ण बहुमत वाली सरकार बननें के लिए लेकिन कई दल मिल कर सरकार बना ले रहे हैं / आज देश उनके हांथों में नहीं जिनके पास ज्यादा जन प्रतिनिधी हैं अपितु उनके हाथों में है जिनकी संख्या अल्प है लेकिन उनके अंदर इतनी शक्ति है कि वे जब चाहें सरकार को गिरा सकते हैं /


आज जहां भी देखो यही देखनें को मिल रहा है कि भारत भ्रष्टाचार की ऊर्जा से जीवित है ; क्या सरकार बदलनें से भारत में मुह में अमृत की बूँदें पड़ सकती हैं ? भारत की सरकारें बदलती रही हैं लेकिन सरकारों के बदलाव से भ्रष्टाचार मजबूत होता रहा , ऐसा क्यों ? भारतीय प्रजातंत्र के इतिहास में आज तक जितनें दल बनें हैं सब यह कह कर जनता के सामनें गए हैं कि मेरे को मौक़ा दो मैं भारत में राम राज्य ला कर दिखाऊंगा लेकिन पिछले साठ सालों में क्या हुआ , ज़रा देखो तो सही ?


कहीं धमाका हो जाए , मंत्री को कुर्सी छोडनी पड़ती है लेकिन वहाँ के IPS , IAS अधिकारियों की कुर्सी पर कोई असर नहीं पड़ता , ऐसा क्यों ? भारत को कौन चला रहा है ? जन प्रतिनिधी या IAS अफ़सर ?

सभीं सरकारी मोहकमों का उच्च अधिकारी IAS अफ़सर है और लगभग सभीं मुहकमें घाटे में चल रहे हैं पर जो भी सरकार आती है वह इस बात पर ध्यान नहीं देती की आखिर प्राइवेट कंपनियां जहां एक भी IAS नहीं होता , सब मुनाफे में चल रहीं हैं और सरकारी कंपनियां जो IAS के हांथों में हैं सभीं घाटे में चल रही हैं , आखिर क्या कारण है ? घाटे वाली सरकारी कंपनी का चेयरमन प्रोमोसन ले कर कहीं और चला जता है और सरकार आम आदमी का पैसा इन कंपनियों में बहा रही है /


क्या कोई ऎसी भी सरकार आयेगी जो जो भारत के मूल भूत प्रशासकीय ढाँचे को बदल सके?


भारत की सरकारें नहीं जनता बेईमान है जो कमजोर सरकार का वातावरण तैयार कर रही है//

भारत के रग – रग में बेईमानी भर दी गयी है जहां तरह-तरह के बेईमान दिखते हैं----

कोई साधू के वेश में

कोई नेता के रूप में

कोई जनता सेवक के रूप में,बिचारा लोकायुक्त क्या कर सकता है?


====ओम======


Sunday, August 7, 2011

सब कुछ उल्टा चल रहा है

वह कौन सी जगह है------

जहां सब कुछ उल्टा हो रहा है?


लगभग सभीं ग्रह अपनीं धुरी पर घडी की सूयी के विपरीत दिशा में घूमते हैं …

जब बच्चा चलनें लगता है तब उसके विपरीत दिशा में चलना चाहता है

जिधर बड़े उसे चलाना चाहते हैं …

आप इन बातों पर कभीं एकांत में बैठ कर सोचना पर अभीं इसे देखें---------


भारत अनेक देशों को मिला कर [ पहले देश होते थे अब उनको राज्य कहते हैं ] एक देश तो बना गया लेकिन बिना छिलके के संतरे जैसी इसकी स्थिति दिखती है / सब लोग राज्यों में , जातियों में .

गरीबी - अमीरी के नाम पर आपस में बाते हैं और जब कभीं आखें बंद करके अपनें देश की स्थिति के बारे में आप सोचेगें तो दुःख के अलावा और कुछ न मिलेगा /


भारत में राम राज्य की बातें जो करते हैं वे नाटक करते हैं , उनके पास कुछ नहीं वे आगे - पीछे से नंगे हैं और आप आदमी जिसके तन में दो - चार बूँदें खून की बची हैं उन्हें भी निकाल लेना

चाहते हैं / भारत में राम राज्य आ सकता है यदि निम्न बातों पर यहाँ की जनता ध्यान दे ----

  • देश में जितनें राज्य हैं उनके नामों को समाप्त कर दिया जाए

  • राज्यों के नाम भारत – एक , भारत – दो , भारत – तीन … ... ऐसे होनें चाहिए न कि -----

    गुजरात , महाराष्ट्र , उत्तर प्रदेश आदि

  • पढ़ाई और नौकरी में कोई आरक्षण जाती के नाम पर नहीं होना चाहिए , आरक्षण मात्र गरीबी

    के आधार पर होना चाहिए

  • जब पढ़ाई में आरक्षण हो तब नौकरी में नहीं होना चाहिए

  • जाति एवं धर्म पर जो लोग जनता को बाटना चाह रहे हों उनको चौराहों पर खडा करके गोली

    मार देनें की ब्यवस्था संबिधान में होना चाहिए

  • जिस पार्टी के 10% से कम MLA हों उसकी राज्य स्तर पर मान्यता समाप्त हो जानी चाहिए

  • जिस पार्टी के 10 % से कम MP [ elected ] हों उनको समाप्त कर देना चाहिए

  • भारत में दो प्रकार के डान हैं एक छोटी - छोटी पार्टियां बना कर अपनी कमाई कर रहे हैं

    और दूसरे वे हैं जो बिल्डरों / ब्यापारियों को बंदूख दिखा कर लूट रहे हैं . इन दोनों की सही ब्यवस्था होनी चाहिए //

  • हन्दू , मुसलमान . ईसाई . गिजराती , बंगाली , पंडित , दलित , क्षत्रिय . नाइ . धोबी आदि शब्दों को समाप्त कर देना चाहिए या इनको चलन से बाहर कर देनें की ब्यापक ब्यवस्था होनी चाहिए // भारत को शुद्ध करो , वोट के नाम पर अब इस से दुर्गन्ध आ रही है //


===== ओम ======