Saturday, July 30, 2011

यहाँ सब कुछ चल रहा है

एक इंशानियत को छोड़ कर …....

यहाँ सब कुछ चल रहा है//

भारत में आम आदमियों को मदद देनें वाली कितनी संस्थाएं हैं?

भारत में दुनिया में सबसे अधिक ट्रस्ट हैं और सबके सब गरीबी दूर करनें में लगे हैं;कोई बच्चों की भलाई में लगे हैं,कोई गर्भवती महिलाओं की भलाई में लगे हैं,कोई बुजुर्गों की सेवा में लगे हैं और कोई कोडियों की सेवा कर रहे हैं लेकिन देश के आइनें में इनकी तस्वीर कैसी दिखती है?

बिलगेट से लेकर चौधरी नानू तक सबके सब लोगों की सेवा में इतने ब्यस्त हैं की यह भी भूल गए हैं की वे क्या कर रहे हैं?


कोई स्वयं को बदलनें की बात नहीं सोचता सब दूसरों को बदलनें में लगे हैं लेकिन परिणाम क्या निकल रहा है?क्या ट्रस्टों का पैसा लोगों तक पहुँच भी पा रहा है?क्या भरे पुरे लोग दिल से कमजोर लोगों की भलाई करना चाहते हैं?भारत में ट्रस्टों की संख्या सारे संसार में सबसे अधिक है और कुछ देशों को छोड़कर भारत में भीखारियों की भी संख्या सबसे अधिक है,आखिर बात क्या है,क्यों जैसे-जैसे ट्रस्ट बढ़ रहे हैं वैसे-वैसे गरीबी भी बढ़ रही है?

हमें तो ऐसा लग रहा है की एक हाँथ के पैसे को दूसरे हाँथ में रखा जा रहा है और दूसरे हाँथ के पैसे को पहले वाले हाँथ में वापिस लाया जा रहा है और इस मेकैनिज्म का नाम है ट्रस्ट//


=====ओम=======


Monday, July 25, 2011

क्या ये वही हैं

चलते फिरते कभीं-कभीं ऐसा भी करें------

किसी मंदिर के एक किनारे में बैठ कर शांत होनें की कोशीश करें / मंदिर एक ऎसी जगह है जिसका आविष्कार हुआ ही है मन शांत करनें केलिए और मन शांत करनें का एक परम पवित्र स्थान मंदिर ही है / जब आप मंदिर के किसी किनारे में बैठे हों तब आप दो काम एक साथ करें ; पहला काम आप अपनें मन के साथ बनें रहें और मन जहां जहां जाता हो उसे वहाँ वहाँ से उठा कर अपनें साथ रखें / दूसरा काम आप का होना चाहिए उन लोगों को देखते रहना जो लोग मंदिर में प्रवेश कर रहे हों /

जब आप लोगों को देखनें का काम कर रहे हों तब आप के मन में उन लोगों के प्रति कोई विचार नहीं उठनें चाहिए / जब आप मंदिर से बाहर निकलें तब जिन लोगों को आप देखे हों उनमें से दो एक को चुन लें और सोचें , उनके बारे में की -------

क्या जिनको आप मंदिर के अंदर देखे थे वे वही हैं जिनको आप वर्षों से जानते हैं?

लोगों मंदिर में आते ही ऐसे क्यों हो जाते हैं जैसे अभीं-अभीं गंगा में स्वयं को रूपांतरित करके आये हों/क्या मंदिर लोगों को रूपांतरित कर देता है?यदि ऐसा होता तो लोग मंदिर से बाहर कदम रखते ही पुनः क्यों अपनें मूल रूपमें आ जाते हैं?

=====ओम=====




Friday, July 22, 2011

क्या होगा गंगा स्नान से

लोग कशी जाते है …..

लोग काशी में बाना चाहते हैं ….

लोग काशी में आखिरी श्वास भरना चाहते हैं …..

और कबीर जी साहिब कहते हैं-------

ज्यों कबीरा काशी मरे,रामहि कौन निहोर

और इतना कह के चले गए उस स्थान पर जहां मरने वाला गदहे की योनी में जन्म लेता है//

कबीर जी साहिब की सोच है की वह जहां हैं उनका राम उनके पास हैं और …...

नानकजी साहिब जब काबा में पहुंचे तब काबा के मुख्य प्रवेश द्वार की ओर अपना पैर

करके सो रहे थे और जब क़ाज़ी साहिब बोले की आप यह क्या कर रहे हैं?तब नानकजी साहिब का जबाब था,वह तो सर्वत्र है मैं किधर पैर करूँ?दोनों भक्त समकालीन थे,दोनों राम भक्त थे,दोनों के सभीं द्वार बंद थे और उनको जो भी दिखता था वह राम ही होता था//

लोग अपना पाप धोनें के लिए काशी गंगा स्नान करना चाहते हैं . क्या काशी में गंगा स्नान करनें से सभीं पाप धुल जाते हैं ? क्या होता है गंगा स्नान करनें से ?

गंगा स्नान से वे निर्मल होते हैं जो समझते हैं की मल क्या है और जिसको निर्मल की

पहचान होती है / गर्मी के मौसम में यदि कोई कम्बल ओढ़ कर बैठे तो उसे बैठना संभव नहीं रह जाता और कुछ समय बाद वह कम्बल को उतार देता है , ऐसा क्यों होता है ? क्योंकि उसे मालूम है की वह पसीनें से तर क्यों हो रहा है , इसका कारण क्या है ? जिस तरह कम्बल धारी को कम्बल का पता होता है वैसे जब निर्मल अन्तः करण वाला मल से प्रभावित होता है तब उसे मल के भार का पता चल जाता है / वह जो गुणातीत मार्गपर है उसे जब गुण छूते हैं तब पता चल जाता है और गुणों का असर उसे बर्दास्त करना कठिन हो जाता है /

वह जो अहंकार में हैं और मनोरंजन के लिए गंगा स्नान करनें जा रहे हैं उनके लिए गंगा एक साधारण नदी हैऔर वे जो जग रहे हैं जो जगनें के लिए यत्नशील हैं उनके लिए गंगा परम धाम का का मार्ग हैं /

गंगा स्नान यदि होश में हो रहा हो तो देह के सभीं नौ द्वार बंद हो जाते हैं उर वह गुणाती योगी के रूप में भोग संसार में स्वयं को देखता है और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की सभीं सूचनाओं में उसे ब्रह्म दिखता है और इस प्रकार उसे सभी पानी के श्रोत गंगा के रूप में दिखनें लगते हैं और वह नानकजी साहिब या कबीरजी साहिब की तरह निर्गुणी भक्त के रूप में हम सब के मध्य रहता है लेकिन हमलोग उनसे दूर ही रहते हैंपर जब वे नहीं रहते तब --------

हम सब के अंदर का निर्गुणी हमें चैन से नहीं रहनें देता और हम भागनें लगते हैं,कहीं गुरु द्वारा बनवाते हैं तो कहीं मंदिर लेकिन इस से होता क्या है?

====ओम====


Sunday, July 17, 2011

एक बार ऐसा हुआ

गुरुवर श्री रामकृष्ण परम हंसके एक मारवाणी मित्र मिलनें आये और गुरुवर से काशी - यात्रा की अनुमति मांगी / गुरुवर बोले , क्या बात है , काशी की याद एकदम कैसे आ गयी ? मित्र बोले , गुरूजी काशी गए दो साल हो गए हैं और इन दो सालों में मुझसे काफी पाप हुए होंगे , मैं सोच रहा हूँ की क्यों न काशी - गंगा स्नान करके पाप मुक्त हो जाऊं ? गुरुवर बोले , बात तो सही है लेकिन तुमको एक राज की बात बताता हूँ / तुम तो काशी जाते ही रहते हो और जब भी जाते हो गंगा स्नान भी करते हो लेकिन क्या तुमनें कभीं गंगा किनारे खड़े पेड़ों को देखा है ? सेठजी बोले , पेड़ों को ! मैं समझा नहीं आप क्या कहना चाहते हैं , कृपया साफ़ – साफ़ बताएं ? गुरुवर कहते हैं … ...

जब कोई गंगा में डूबकी लेता है तब उसके सारे पाप उसके सर से निकल कर उन पेड़ों पर लटक जाते हैं और जब उस का सर पानी से ऊपर उठता है तब पुनः उसके सारे पाप उसके सर में प्रवेश कर जाते हैं और परिणाम स्वरुप वह जैसा गया होता है वैसा ही वापिस आ जाता हैलेकिन ------

हजारों लोगों में कोई एकाध ऐसा भी होता है जो ….....

स्नान करते समय होश में रहता है और जब उसके सारे पाप पेड़ों पर लटक जाते है तब वह अपनें देह के सबहीं द्वारों को बंद कर के अपनें सर को गंगा से बाहर निकालता है /

अब तुम बताओ , तुम क्या करके वापिस आना चाहते हो ?

जाओ , प्यार से जाओ और एक बार गंगा स्नान करके हमेशा के लिए अपनें सबहीं द्वारों को बंद कर लो और तब तुम परम आनंद में रहनें लगोगे //

गीता में प्रभु श्री कृष्ण भी यही बात कहते हैं //


===== ओम =====


Friday, July 15, 2011

कौन है ऊपर

जहाँ कोई परमात्मा शब्द बोलता है लोगों का रंग बदलनें लगता है ; कोई कान को हाँथ लगाता है तो कोई ऊपर देखनें लगता है कोई इस शब्द के साथ टिकना नहीं चाहता सभीं चाहते हैं , किसी तरह परमात्मा - पिजड़े के बाहर रहना लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो प्रभु में ही अपना बसेरा बना

रखा है /

गीता में प्रभु श्री कृष्ण कहते हैं--------

हे अर्जुन ! बहुत से लोग मुझे चाहते हैं , किसी का कोई कारण होता है तो किसी का कोई , जो मुझसे जुड़ते हैं उनमें कुछ को सिद्धि मिल भी जाती है लेकिन सिद्ध - योगियों में कोई एकाध मुझे तत्त्व से समझ पाता है /

कौन परमात्मा को तत्त्व से समझता है?

  • सुख – दुःख,भय – मोह एवं आलस्य का आयाम …....

  • काम,कामना,क्रोध,लोभ अहंकार का आयाम ….

  • प्रभु के साथ जुड़े होनें के कारण मैं के गर्व का आयाम ….

जब कोई साधक इन तीन आयामों से अप् रभावित हो जाता है तब ------

सम्भव का आयाम आता है जहाँ टिके रहनें वाला योगी किसी भी क्षण कहीं भी धीरे से प्रभु के आयाम में सरक जाता है जिसको कहते हैं गुणातीत – योगी /

  • प्रभु से भाग कर कहाँ जाओगे?

  • प्रभु को धोखा देकर कहाँ रहोगे?

  • प्रभु को नज़र अंदाज़ करके कैसे जीवन गुजारोगे?

प्रभु की ओर पीठ करनें वाला कबतक भागता रहेगा ? वह कौन सी जगह है जहाँ प्रभु नहीं , आखिर

एक दिन तो तुमको जबाब देना ही होगा कि …...

मनुष्य जीवन में तुम किस तरह रहे हो?


=====ओम=========


Wednesday, July 13, 2011

क्या हम इसे समझते हैं


ज़रा आप इन बातों पर गौर करें------




  • मोहमद साहिब जब गर्भ में थे तब उनके पिता का देहांत हो गया था … ....



  • मोहमद साहिब जब छः साल के थे तब उनकी माँ गुजर गयी थी … ...



  • मोहमद साहिब जब आठ साल के थे तब उनके दादा गुजर गए … .



  • मोहमद साहिब की पहली पत्नी जो यहूदी थी उनसे पन्द्रह साल उम्र में बड़ी थी … ..



  • मोहमद साहिब सन 610 में ज्ञान प्राप्त किया एक पहाडी के ऊपर



  • मोहमद साहिब को आकाश में गुजती एक आवाज सुनाई पडी ---



  • मोहमद तूँ बोल और मोहमद साहिब कापनें लगे और घर आते ही



  • उनको तेज बुखार हो गया … .



  • मोहमद साहिब सत् की खोज की यात्रा की अवधि सन 6.10 से सन 632 तक था … .



  • सन 618 में भारत के मालाबार के राजा चक्रवाती फरमास पहले ऐसे ब्यक्ति थे जिन्होंने इस्लाम धर्म को धारण किया … ..



  • मोहमद साहिब का भौतिक जीवन सन 570 से 632 के मध्य था … ..



  • कुरान शरीफ में 114 सुरा और 6236 आयतें हैं … ..



  • कुरान शरीफ में घर बनानें से ले कर गृहस्थ जीवन जीनें की सारी बातें दी गयी हैं … ..



  • कुरान शरीफ में खुदा के लिए सौ नामों की चर्चा है लेकिन गिनती करनें


    पर 99 नाम मिलते हैं ..



  • कुरान शरीफ में यह लिखा है कि जो नाम पहला है वही आखिरी भी है और -----



  • पहला नाम है,अल्लाह




====अल कबीर=======




Monday, July 11, 2011

हमलोग उस समय क्या कर रहे थे

सोमनाथ का मंदिर लूटा गया तब------

कुरुक्षेत्र का शिव मंदिर जब महमूद गजनी लूट रहा था तब----

काशी विश्वनाथ का मंदिर जब गिराया जा रहा था तब-----

अयोध्या का राम लला का मंदिर जब तोड़ा जा रहा था तब----

हम लोग क्या कर रहे थे ?

कह रहे हैं लोग की केरल के मंदिर में कमसे कम पांच लाख हजार करोड का माल दबा हुआ है और कई दिन तो हो गए लोगों को गणना करते हुए और कई हप्ते और लगनें की उम्मीद दिख रही है /

भारत का धन किस का धन है जो मंदिरों में या राज महलों में दबा हुआ है ?

राजस्थान के राजा सर्वसम्पन्न माने जाते थे …..

छत्तीस गढ़ नाम ही छत्तीस राजाओं के राज्यों के क्षेत्र के नाम पर रखा गया है …..

मिथिला और पाटलीपुत्र भारत का प्राचीनतम इतिहास की किताब हैं …...

मिथिला में यदि त्रेता युग मे माँ जानकी पैदा हुयी तो द्वापर में आ कर

कंश की पत्नी भी मिथिला की थी.....

राजाओं को धन कहाँ से मिलता था ?

गरीबों के खून को राजा लोग चूसते थे और वह धन या तो राज महलों में दबा हुआ है या भय के कारण मंदिरों में दबा हुआ है /

सरकार को चाहिए की प्राचीनतम मंदिरों एवं किलों में जमा धन का पता लगाए और उस धन को गरीब इलाकों के विकास में खर्च करे क्योंकि वह धन मात्र गरबों आ है //


====ओम=======


Wednesday, July 6, 2011

इसे भी समझो


क्या कभीं ऎसी बातें भी आप को अपनीं ओर खीचती हैं?


क्या कारण है कि--------


[]चंद्र गुप्त मौर्य चालिश साल की उम्र में जैन भिक्षुक बनगए?


[]तुलसी दास चालिश साल की उम्र के बाद रामचरितमानस की रचना की?


[]मोहमद साहिब को चालिश साल की उम्र के बाद ज्ञान प्राप्त हुआ ?


[]बुद्ध को चालिश साल की उम्र के बाद निर्वाण मिला ?


[]हिंदी के कवि श्री जयशंकर प्रसाद चालिश साल की उम्र के बाद कामायनी जैसे


काब्य की रचना की ?


[]अल्बर्ट आइन्स्टाइन को चालिश साल की उम्र में नोबल पुरष्कार मिला ?




कभीं-कभीं ऎसी बातों को भी आप अपनें ध्यान का विषय बना सकते हैं /


चालिश साल की उम्र आते ही मनुष्य में क्यों ज्ञान की किरण निकलती है ?


कुछ दिन इस बिषय पर आप लगाएं,इसके बाद ऎसी कुछ और बातें आपको अगले अंक में भी मिलनें वाली हैं /




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