जहाँ कोई परमात्मा शब्द बोलता है लोगों का रंग बदलनें लगता है ; कोई कान को हाँथ लगाता है तो कोई ऊपर देखनें लगता है कोई इस शब्द के साथ टिकना नहीं चाहता सभीं चाहते हैं , किसी तरह परमात्मा - पिजड़े के बाहर रहना लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो प्रभु में ही अपना बसेरा बना
रखा है /
गीता में प्रभु श्री कृष्ण कहते हैं--------
हे अर्जुन ! बहुत से लोग मुझे चाहते हैं , किसी का कोई कारण होता है तो किसी का कोई , जो मुझसे जुड़ते हैं उनमें कुछ को सिद्धि मिल भी जाती है लेकिन सिद्ध - योगियों में कोई एकाध मुझे तत्त्व से समझ पाता है /
कौन परमात्मा को तत्त्व से समझता है?
सुख – दुःख,भय – मोह एवं आलस्य का आयाम …....
काम,कामना,क्रोध,लोभ अहंकार का आयाम ….
प्रभु के साथ जुड़े होनें के कारण मैं के गर्व का आयाम ….
जब कोई साधक इन तीन आयामों से अप् रभावित हो जाता है तब ------
सम्भव का आयाम आता है जहाँ टिके रहनें वाला योगी किसी भी क्षण कहीं भी धीरे से प्रभु के आयाम में सरक जाता है जिसको कहते हैं गुणातीत – योगी /
प्रभु से भाग कर कहाँ जाओगे?
प्रभु को धोखा देकर कहाँ रहोगे?
प्रभु को नज़र अंदाज़ करके कैसे जीवन गुजारोगे?
प्रभु की ओर पीठ करनें वाला कबतक भागता रहेगा ? वह कौन सी जगह है जहाँ प्रभु नहीं , आखिर
एक दिन तो तुमको जबाब देना ही होगा कि …...
मनुष्य जीवन में तुम किस तरह रहे हो?
=====ओम=========
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