- ज़रा रुकना , कहीं आप भोजन तो नहीं कर रहे ?
- क्या आप जानते हैं कि यह सब्जी कितनी पुरानी है ?
- जी नहीं , आप भ्रम में हैं , आप की सोच गलत है ?
- आप इतनी पुरानी सब्जी खा रहे हैं जिसकी कल्पना आप की बुद्धि में कभी नहीं उठी /
- आप की पत्नी को यह सब्जी बनानें की कला उनकी माँ से मिली /
- पत्नी की माँ को यह बिरासत में उनकी माँ से मिली थी /
- और यह क्रम चलता रहा और चल रहा है /
- लेकिन इस बात पर हमनें कभीं सोचा भी नहीं /
कहते हैं , जबाना बदल गया , क्या ख़ाक बदल गया ?
जो हम ग्रहण कर रहे हैं , वह सब कितना प्राचीन है , कुछ कहना संभव नहीं /
लेकिन यह सब होते हुए भी एक बात है ......
- आज का बैगन , आलू , चावल ,दूध आदि सब भोजन सामग्री की नश्ल बदल गयी है /
- भोजन बनानें की टेक्नोलोजी लगभग प्राचीन है लेकिन भोजन का स्वाद बदला हुआ है /
- हम लगभग अपनें बुजुर्गों की तरह दिखते हैं , लेकिन हमारी सोच बदल गयी है /
- सभी जड़ी - बूटियाँ - बनस्पतियाँ सब बदल गयी हैं लेकिन आयुर्वेद वही है /
- विद्यालय वहीं हैं लेकिन पढ़ाई बदल गयी है /
- अध्यापक देखनें में वैसे हैं लेकिन उनका दिल बदल गया है /
- किताबें हैं लेकिन उनका रंग बदल गया है /
यदि हम अपनें दैनिक जीवन में झांकते रहें तो उस का आभाष होनें लगता है जो इस बदलाव
के पीछे है /
कहीं इस बदलाव की ऊर्जा उसी की तो उर्जा नहीं ....
जिसकी तलाश हमें कहीं टिकनें नहीं दे रही //
=== ओम् =====
1 comment:
हरि ॐ तत्सत!
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