- कौन मेरा है ?
- कौन तेरा है ?
- जो मेरा है , कबतक मेरा रहेगा ?
- जो तेरा है , वह कबतक तेरा रहेगा ?
- जो मेरा है ,क्या वह तेरा नहीं ?
- जो तेरा है , क्या वह मेरा नहीं ?
- जो मेरा है , क्या वह तेरा नहीं हो सकता ?
- जो तेरा है , क्या वह मेरा नहीं हो सकता ?
- मेरा की कितनीं लम्बाई है ?
- तेरा की लम्बाई क्या है ?
- क्या मेरा और तेरा समाप्त नहीं हो सकते ?
- जब मेरा और तेरा समाप्त होते हैं तब क्या होता है ?
इतनें सारे प्रश्नों में उलझनें के बाद बुद्धि जहाँ रूकती है , उसका नाम है -----
कन्हैया
और जो इस दशा में होता है ,
वह गाता है ----
करते हो तुम कन्हैया , मेरा नाम हो रहा है
पतवार के विना मेरी नाव चल रही है
अब्यय , निर्विकार , एक अक्षर , एक ओंकार , अप्रमेय , जो चाहे वह कह लो ---
लेकिन वह निर्विकार चित्त निर्विकार बुद्धि का बासी जरुर है
==== ओम् ======
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