Tuesday, February 12, 2013

कौन सुनानें वाला है और कौन सुनने वाला है ?

सुननें वाला वह है , जो कामना का गुलाम है ....
सुननें वाला वह है , जिसके अंदर पूर्ण रूप से श्रद्धा की लहर बह रही होती है ....
सुननें वाला वह है , जिसके अंदर धनात्मक अहँकार का अभाव है .....
सुननें वाला वह है , जिसके अंदर सात्त्विक गुण प्रभावी होता है ....
सुननें वाला वह है , जिसके सभीं नौ द्वार प्रकाशित  हो रहे होते हैं ....

और ----

सुनानें वाला वह है , जो प्रभु समान  होता है ....
सुनानें वाला वह है , जो ब्रह्म वित् होता है .....
सुनानें वाला वह है , जो काम , कामना , क्रोध , लोभ , मोह , भय एवं अहकार रहित हो ...
सुनानें वाला वह है , जो भौतिक साधनों से संपन्न है ....
सुनानें वाला वह है , जो देता तो  है लेकिन उसका देना उसके अहँकार का भोजन होता है ...

कुछ बातें सुननें और सुनानें वालो के सम्बन्ध में दी गयी हैं , लेकिन इन बातों में दो प्रकार के सुननें वाले हैं और दो ही प्रकार के सुनानें वाले हैं ; पहली श्रेणी है उनकी जो योगी है और दूसरी श्रेणी उनकी है जो भोगी हैं /
 भोगी सुननें वाला है और भोगी ही सुनाने वाला -----
योगी सुननें वाला है और योगी हि सुनानें वाला ----
योगी सुनानें वाला है और  भोगी सुननें वाला ----

लेकिन 

भोगी सुनानें वाला हो और योगी सुननें वाला हो ऐसा होना कठिन है ,

 क्योंकि 

भोगी , भोगी की बात को समझ सकता है ....
योगी , योगी की बात को समझता है ....
योगी , भोगी की बात को समझता है ...
पर 

योगी की बात को भोगी नहीं समझता , और यदि समझता है तब वह उस घडी भोगी नहीं होता , उस घडी उसका मन - बुद्धि भोग भाव की ऊर्जा को नहीं धारण किये हुए होते और जब ऐसा होता है तब उस भोगी को वह खिडकी भी दिखती है जहाँ से सत् की  किरण उसकी ओर आती उसे दिख सकती है / 
भोग से योग में रखा कदम ब्रह्म अनुभूति में पहुंचा सकता है 
योग से भोग में लौटा कदम नर्क  में पहुंचाता है 

=== ओम् ====



1 comment:

Unknown said...

आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (13-02-13) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
सूचनार्थ |