Tuesday, August 20, 2013

क्या करोगे सोचके

क्या करोगे सोचके ? देखना जरा अपनें जीवन की किताबके कुछ पन्नोंको जिनको आप कभीं नहीं
देखा :----
1- जीवनकी कुछ एक ऐसी घटनाएँ होती हैं जिनको जितना सोचोगे वे उतनी और जटिल हो जाती जाती
हैं ।
2- मन स्तर पर आप कुछ भी बन जाएँ लेकिन आपका मूल स्वभाव ठीक समय पर आपको अपनें प्रतिकूल न जाने देगा ।
3- कुछ ऐसे होते हैं जिनकी जगह आपके जीवनमें न के बराबर रही होती है लेकिन समय आनें पर वे आपके बहुत करीब आजाते हैं , आपकी मदद करते हैं और अपनें , दूर खड़े हो कर आपकी बजबूरीको और नंगा देखनेंके अवसरका इन्तजार करते होते हैं ।
4- जीवनमें जिनको हम पकड़ने केलिए , हम अपनी पूरी ऊर्जा लगा रखी थी , उनसे दूरी बढती गयी , ऐसे अनुभव रह - रह कर आपको चुभते रहते हैं । 5- क्या खोजा और क्या पाया ।
6- जो हम अपनें जीवनमें न कर सके , उसे अपनें पुत्रसे करवाना चाहते हैं और वहाँ भी हमें मायूसी ही मिलती है क्योंकि यहाँ जो आता है उसके पास उसका अपना संचित धन होता है और वह उसी केंद्र पर घूमता है ।
7- घरकी ऊब बाहर भगाती है और बाहर लोगोंका ब्यवहार पुनः घरमें कैद कर देता है । 8- दूसरों जैसे बनते - बनते हम स्वयंको भूल जाते है और हाँथ कुछ नहीं लगता ।
°°° ॐ °°°

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