Monday, December 6, 2021

गीता अध्याय - 2 की एक झलक

 



एक झलक 

गीता अध्याय - 02 में श्लोकों की स्थिति⬇️

प्रभुश्रीकृष्ण

संज्जय

अर्जुन

योग

63

03

06

72


☸️इस अध्याय में निम्न बिषयों पर चर्चा की गयी है ⬇️

क्र सं

बिषय

श्लोक

योग

1

● मोह 

● पंडित

 ● पिछले जन्म की स्मृति में लौटना

1 - 12

12

2

आत्मा

13 - 30

18

3

● कर्मयोग

● वेद और भोग

दो बुद्धियाँ  

31 - 52

22

4

स्थिरप्रज्ञ

53 - 72

20

योग

➡️

➡️

72


🕉️ आत्मा ⤵️

श्लोक : 2.13 - 2.30 ( 18 श्लोक )

  जीवात्मा का देह त्याग और देह धारण करना ,धीर पुरुष को मोहित नहीं करता । 

जीवात्मा अविनाशी , अप्रमेय और नित्य है जबकि देह नाशवान है।

 ● नायं हन्ति न हन्यते ( 2.19 ) आत्मा न मारता है और न मारा जाता है । 

● न हन्यते हन्यमाने शरीरे ( 2.20 ) शरीर के मारे जाने पर भी यह नहीं मारा जाता ।

◆ आत्मा जन्म - मरण से अप्रभावित , अजन्मा ,

 नित्य , सनातन और पुरातन है । 

◆ आत्मा - बोधी न मारता है , न मरवाता है ।

◆ आत्मा पुराने देह को त्याग कर नया देह धारण 

करता है ।

◆ आत्माको काटा नहीं जा सकता , जलाया नहीं जा

सकता , घुलाया नहीं जा सकता और सुखाया नहीं जा सकता ।

◆ आत्मा अच्छेद्य , अदाह्य , अक्लेद्य , सर्वव्यापी , अचल , सनातन ,अव्यक्त , अचिन्त्य और निर्विकार है।

◆ आत्माको कोई आश्चर्य से देखताहै । कोई  आश्चर्य से  आत्मा के सम्बन्ध में सुनता है तो कोई तत्त्व से आत्मा को जानता है । ज्यादातर लोक  सुनकर भी आत्मा को नहीं जानते !

★ सभीं भूत जन्म पूर्व अव्यक्त थे , मरने के बाद भी अव्यक्त हो जाते हैं , इन दो के मध्य की उनकी स्थिति व्यक्त की है फिर ऐसी स्थिति में किसी के लिए शोक क्या करना !

~~◆◆ ॐ ◆◆~~

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