Monday, August 15, 2022

पतंजलि कैवल्य पाद सूत्र : 25 - 26 > समाधिस्थ योगी के लिए ज्ञेय अल्प और ज्ञान अनंत होता है , उसे मैं कौन हूँ का बोध हो गया होता है और कैवल्य मुखी होता है

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