बुद्ध पुरुष सुख एवं दुःख दोनों का चिकित्सक होता है
बुद्ध पुरुष न सुख देते हैं न दुःख
बुद्ध पुरुष उस आयाम में पहुंचाते हैं जहाँ से एक तरफ सुख औए एक तरफ दुःख दिखते हैं
बुद्ध पुरुष सुख एवं दुःख दोनों का द्रष्टा बनाते हैं
बुद्ध पुरुष वह रोशनी देते हैं जिससे सुख एवं दुःख दिखते हैं
बुद्ध पुरुष को खोजा नही जा सकता
बुद्ध पुरुष कहीं नहीं हैं और सर्वत्र हैं
बुद्ध पुरुष को देखनें की रोशनी ध्यान से मिलती है
ध्यान की गहराई में जब चेतना आत्मा को छूटी है तब उस घडी कोई बुद्ध वहाँ दिखते हैं
बुद्ध बताना तो वह सब चाहते हैं जिनकी अनुभूति उनको हुयी होती है
लेकिन …....
**इंद्रियों के माध्यम से अपनी अनुभूति ब्यक्त करनें की कोशिश अधूरी ही रहती है
**परम अनुभूति को इंद्रियों से ब्यत किया नही जा सकता
**परम सत्य ब्यक्त होते ही असत्य बन जाता है
**सत्य में वह जीता है जो गुणातीत होता है
**गुणातीत परम तुल्य होता है
**परम तुल्य योगी को जो समझता है वह स्वयं गुणातीत योगी ही होता है
**दो बुद्ध कभीं आपस में बातें नहीं करते
वे धन्य हैं जो बुद्ध - ऊर्जा क्षेत्र में रहते हैं
बुद्ध ऊर्जा क्षेत्र हैं - जैसे - कर्बला , काशी , मक्का , मानसरोवर , कैलाश , जेरुसलेम , द्वारका , उज्जैन , हरिद्वार , केदारनाथ , बद्रीनाथ , 51 शक्ति पीठें , 11 ज्योतिर्लिंगम के स्थान आदि
====ओम्=======
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