Wednesday, June 12, 2013
गीता अध्याय -01 ( सार )
Title :गीता अध्याय - 01 Content: गीता - अध्याय - 01 श्लोकों की स्थिति : * ध्रिष्ट्र राष्ट्र ....... 01 * कृष्ण .......... 00 * अर्जुन ......... 27 * संजय ......... 19 ----------------- योग = 47 ----------------- इस अध्याय में दो बातें हैं : (क) श्लोक - 01 (ख) श्लोक - 1.26 से 1.47 तक * श्लोक -01 धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः । मामकाः पाण्डवा : च एव किं अकुर्वत संजय ।। 1- श्लोक धृतराष्ट्र का है अतः धृत राष्ट्र कुरुक्षेत्र को धर्म क्षेत्र क्यों कह रहे हैं ? > आदि शंकर से गाँधी जी तक की गीता के इस सूत्र की ब्याख्या कुछ तर्क आधारित कमजोर दिखती हैं , इस सम्बन्ध में अब कुछ आगे :--- (क) कुछ लोग प्रभु श्री कृष्ण के वहाँ होने की वजह से धर्म क्षेत्र कहते हैं , और (ख) धर्म आधारित युद्ध हो रहा है इसलिए इसे धर्म क्षेत्र कहते हैं , लेकिन धृत राष्ट्र क्यों धर्म क्षेत्र कह रहे , उनके लिए न कृष्ण प्रभु हैं न यह युद्ध धर्म आधारित है ।अब कुरूक्षेत्र के संबंध कुछ और बातें :---- 1- वेद कुरुक्षेत्र को स्वर्ग में जो रहते हैं उनका तीर्थ कहते हैं । 2- 52 शक्तिपीठों में से एक, यहाँ शिव मंदिर में है । 3- यहाँ का शिव मंदिर कई बार मुस्लिमों के हाथों लूटा गया है जैसे मुहम्मद गज़नी ( 11वीं शताब्दी) 4- अर्जुन दोनों पक्षों के वीरों को युद्ध पूर्व देखना चाहते हैं , क्या उन्हें पता नहीं की इस युद्ध में कौन किसका साथ दे रहा है ? भागवत कहता है की कृष्ण बिपक्षी योद्धाओं की शक्ति क्षीण करने हेतु दोनों सेनाओं के मध्य अर्जुन के रथ को ले गए थे । 5- श्लोक - 1.26 से 1.47 तक को देखिये जहां दो बातें हैं ---- (अ) मोह की पहचान ( 1.28 - 1.30 तक ) के लक्षणों को बताया गया है । (ब) जाति धर्म और कुल धर्म की बातों का जिक्र है जो पूर्ण रूप से जेनेटिक्स से सम्बंधित है ।इस सम्बन्ध में अर्जुन की बातों का गीता में कोई जबाब नहीं है । : मोह के लक्षण : * अंगों का सिथिल होना.... * मुह सूखना ..... * शरीर में कम्पन ... * शरीर में रोमांच का होना .... * त्वचा में जलन ...... * भ्रमित मन ..... > अर्जुन की कुछ और बातें < + कुटुंब को मार कर मैं सुख से किस तरह रह पाऊंगा ? + जिनके लिए मुझे राज्य चाहिए वे सभीं यहाँ मरनें - मारनें को तौयार हैं , फिर क्या फायदा युद्ध से ? + कुल की स्त्रियाँ दूषित होंगी ... + वर्णसंकर उत्पन्न होंगे ... + वर्णसंकर कुल का नाश करेंगे >>>> ॐ <<<<
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