आस्था
● आस्था जब टूटती है तब वह ब्यक्ति भी टूट जाता है लेकिन यह स्थिति मनुष्यको रूपांतरित कर सकती है ।
● कामना , क्रोध , लोभ , मोह , भय और अहंकार रहित टपकती आंसूकी बुँदे मनुष्यको परममें डुबो कर रखती है जिसे कोई हिला नहीं सकता ।
● जो हम कहते हैं , यदि वैसे करें भी तो अपनें को तृप्त रख सकते हैं ।
● जैसा हम करते हैं , यदि वैसा ही बन जाएँ तो हमारी सभीं समस्याएं समाप्त हो सकती हैं।
● अपनें और पराये का भाव यदि समाप्त हो जाए तो सिद्धि मिलनी कठिन नहीं ।
● कामना और अहंकार चलाते नहीं , घुमाते रहेते हैं । ● भोगसे भगवान की यात्रा ज्यादा लम्बी नहीं , लेकिन मनुष्यके कई जन्म लगजाते हैं ।
● श्वास ध्यानमें जब नासिका से बाहर निकलती श्वास पूर्ण रूपसे दिखनें लगे तो वह ध्यान पूर्णता की ओर जा रहा होता है ।
°°° ॐ °°°
Saturday, August 24, 2013
आस्था
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1 comment:
sahi bate ,
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