** संसारकी हवाको कौन पहचानता है ?
1- संसार एक रंगमंच है जहाँ सबको एक बराबर मौका मिलता है ,स्वयंके असली चहरे को पहचाननेंको और स्वयंकी जब पहचान हो जाती है तब वह उस परमको समझ जाता है जिससे और जिसमें इस संसार रंगमंचका अस्तित्व है ।
2 - हम संसारका किनारा खोजनेंमें अपनें जीवनके आखिरी किनारे पर जा पहुँचते हैं पर संसारका किनारा कहाँ मिलता है ,मिले तो तब जब हो ।
3- यहाँ कुछ खोजनें की क्या जरुरत , जो मिला हुआ है क्या वह कम है ?
~~~ ॐ ~~~
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