1- तेरी , मेरी और सबकी एक ही कहानी है हम लोग इसे समझ नहीं पाते और इसे अलग - अलग रंग देनें लगते हैं ,ऐसा क्यों होता है ? ऐसा इस लिए होता है कि हम सब माया सम्मोहित ब्यक्ति हैं । योगी इस माया रहस्य को समझता है और इस रहस्य के माध्यम से मायापति से एकत्व बनाए रहता है ।
2- कभीं एकांत में बैठ कर सोचना , क्या खोज रहे थे और क्या मिला ? इस बिषय पर गहरी सोच आपको वहाँ पहुँचा सकती है जहाँ भोग - योग का संगम है और जिसके आगे परम सत्य की गंगा बहती हैं ।
3- जो कोई आपको याद करता है ,उसमें उसका अपना गहरा स्वार्थ होता है , जब आपको इस सत्यका पता चलता है तबतक काफी देर हो गयी होती है और आप मायूस हो कर रह जाते हैं ।
4- हम अपनें जीवन को खूब फैला रहे हैं कभीं -कभीं फैलाते -फैलाते ऐसा लगनें लगता है कि हम तो इसे फैला रहे है पर यह फैलनें की जगह सिकुड़ता जा रहा है और जब यह सोच आती है तब हमारे ऊपर जो गुजरती है उसे सोचनें की हिम्मत मुझमें नहीं आपाती ।वह जो हिम्मत जुटा पाता है वह माया संचालित जीवन -रहस्य को समझ जाता है और प्रभु केन्द्रीय हो उठता है ।
~~ हरि ॐ ~~
Monday, February 17, 2014
तेरी मेरी कहानी
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1 comment:
sir nice post......n also ur blog is awesome....:-)
waqt mile to mere blog par bhi jarur aaiga........plz...!!!!
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