1- क्या कहूँ ? किससे कहूँ ? और कैसे कहूँ ? मुह खोलनें से पहले इन प्रश्नों पर विचार करलो वर्ना बाद में पछताना पड़ेगा ।
2- पेड़ से टपका फल और मुह से टपकी बात मे समानता है ।
3- अभीं तक वे आपके अपनें ही थे लेकिन दो बातें आपकी सुनते ही उनका रंग क्यों वदल गया ?
4- आप सोच रखे थे कि वे आपके अभिन्न मित्र हैं लेकिन जब आप उनको बरतना चाहा तो आपकी सोच खरी न निकल सकी और आपको जहाँ खुश होना था , दुखी हो उठे ।
5- प्रभु सबको देख रहा है , यह बात सब जानते हैं पर इसे समझनें वाले दुर्लभ हैं ।
6- जीवन प्रकृति की ओर से रंगीन है उसे और रंगीन बनानें की कोशिस उसकी खूबसूरती को छीन लेता है।
7- देहके दर्द को तो कहा जा सकता है लेकिन दिल के दर्द को किससे और कैसे कहूँ ?
8- दूसरों की कमजोरियों को बता - बता कर जीवन गुजार दी पर अपनी कमजोरियों को किससे और कैसे कहूँ ?
9- औरों से जो मिला उसे तो सबको बता दिया पर अपनों से जो मिला उसे किससे और कैसे बताऊँ ? 10- संसार में सबकुछ कहा जा सकता है ,सबकुछ गाया जा सकता है लेकिन जो प्यार मिलता है उसे कैसे कहा या गाया जा सकता है ?
~~ रे मन कहीं और चल ~~
Sunday, April 27, 2014
क्या कहूँ ?
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किससे कहूँ ?
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