* जीवनके हर पलको रंगों नहीं , उसके हर पलके रंग को देखो और जब प्यारसे देखनेंका गहरा अभ्यास हो उठेगा तब जीवनके हर पलसे टपकते रंगों के प्रति होश उठनें लगेगा जो अन्तः करण में निर्विकार ऊर्जा को भरनें लगेगाऔर वह पल दूर न होगा जब आप की पीठ भोग संसार की ओर होगी तथा आँखों में जो होगा उसकी ही तो खोज केलिये मनुष्य योनि मिली
हुयी है ।
# जीवन सभीं जी रहे हैं : कुछका जीवन उनकी पीठ पर लदा हुआ है और जो ऐसे हैं , वे अपनें जीवनको देख नहीं पाते एवं कुछको उनका जीवन प्रभुके प्रसाद रूप में मिला होता है । प्रसाद रूप में मिला जीवन वाला जहाँ एक पलके लिए भी खड़ा हो जाता है, उड़ घडीके लिए वह स्थान तीर्थ जैसा हो उठता है।
* जिसको जैसा जीवन मिलता है ,उसे उसका मजा लेना चाहिये , दूसरे जैसा जीवन जीनें की चाह कभीं चैन से न रहनें देगी ।।
~~~ॐ ~~~
Monday, April 13, 2015
कतरन -11
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