Saturday, September 23, 2023

सांख्य के 25 तत्त्व और 14 प्रकार की योनियां


सांख्य दर्शन के 25 तत्त्व 

संबंधित कारिकायें ⤵️

3 , 22 ,  35 , 40 - 42, 52 - 54

कारिका : 3 + 22 > प्रकृति -पुरुष ( दो अव्यक्त तत्त्वों )  संयोग से 23 व्यक्त तत्त्वों की उत्पत्ति 

कारिका : 35 > 23 व्यक्त तत्त्वों में 13 करण कहलाते हैं ; इनमें बुद्धि , अहंकार और मन को अंतःकरण या चित्त और शेष 10 इंद्रियों को बाह्य करण कहते हैं। करण का अर्थ है करना अर्थात सांख्य के 13 करण कर्म के हेतु हैं ।

कारिका : 40 - 42 > सूक्ष्म शरीर  

 23 तत्त्वों में पांच महाभूतों को छोड़ शेष 18 तत्त्वों को लिंग शरीर या सूक्ष्म शरीर कहते हैं ।  लिंग शरीर तबतक आवागमन में रहता है जबतक पुरुष को कैवल्य नहीं मिल जाता । अविद्या का नाश होना ही कैवल्य है। कैवल्य गुणातीत की स्थिति को कहते हैं।

कारिका : 52 - 54 >  भाव और लिंग ( भौतिक ) सृष्टियां 

 बुद्धि से उत्पन्न तत्त्वों में अहंकार और 11 इंद्रियों को भाव सृष्टि और पांच तन्मात्रो  तथा तन्मात्रो से  उपजे पांच महाभूतों को लिंग या भौतिक सृष्टि कहते हैं । अब आगे ⬇️

 व्यक्तो की निष्पत्ति दो अव्यक्तो के संयोग से है । दो अव्यक्तो में एक जड़ और दूसरा शुद्ध पूर्ण चेतन है । जड़ अचेतन तीन गुणों की साम्यावस्था वाली मूल प्रकृति है और शुद्ध पूर्ण चेतन , पुरुष है । दोनों अतिसूक्ष्म सनातन और स्वतंत्र हैं । पुरुष ऊर्जा के प्रभाव में अविकृत तीन गुणों की साम्यावस्था वाली मूल प्रकृति विकृत हो जाती है , जिसके फलस्वरूप 07 कार्य - कारण ( बुद्धि , अहंकार , 05 तन्मात्र )  और 16 केवल कारण ( 11 इन्द्रियाँ + 05 महाभूत )  तत्त्व उत्पन्न होते हैं । कारण , करण और कार्य को ठीक से समझना चाहिए जिसे अगले लेखों में अलग से भी स्पष्ट किया जाएगा ।

विकृत प्रकृति के 23 तत्त्वों से दैव सृष्टि  (8 प्रकार की ) , तैर्यम्योन सृष्टि (5 प्रकार की ) और मनुष्य की सृष्टि (1 प्रकार की ) , कुल मिलाकत 14 प्रकार की सृष्टियाँ उत्पन्न होती हैं (कारिका - 53 ) । इन योनियों में नाना प्रकार के जड़ - चेतन  हैं और हर जड़ एवं चेतन का अपना - अपना पुरुष होता है क्योंकि हर जड़  - चेतन इकाई का जन्म और मृत्यु अलग - अलग समय में होता है । इस प्रकार प्रकृति में चित्त केंद्रित पुरुष अनेक होते हैं  और वही सुख - दुःख के भोक्ता भी  हैं ।

मैं कौन हूं ? इस प्रश्न का उत्तर है - 25 तत्त्वों के योगसे  निर्मित , ' मैं हूं ' मैं अर्थात 14 प्रकार की योनियां ।

~~ ॐ ~~

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