Friday, December 21, 2012

केवल दो घडी , सोचना

  • आज कौन जीना चाहता है ?
  • आज कौन मरना चाहता है ?
  • आज मनुष्य अपनें जीनें - मरनें का क्या मापदंड बना रखा है
  • क्यों लोग भोग के लिए जीना और भोग के लिए मरना चाह रहे हैं ?
  • आज क्यों लोग परमात्मा को पीठ पीछे रख रहे हैं ?
  • आज क्यों मनुष्य की सोच नकारात्मक हो रही है ?
  • आज जितना भय मनुष्य को मनुष्य से है उतना भय और किसी जीव से नहीं , क्यों ?
  • आज का मनुष्य आखिर चाहता क्या है ? मात्रा कामना - काम की तृप्ति /
  • आज वे सबहीं पराये से क्यों दिखाते हैं जो पहले अपने हुआ  करते थे ?
बहुत सारे प्रश्न हैं और प्रश्न रहित मन - बुद्धि कभी शांत नहीं हो सकते / शांत मन - बुद्धि जिसे देखते हैं वह होता है परम सत्य और हम अपनें मन - बुद्धि को प्रश्न रहित करना नहीं चाहते , आखिर वह कौन सी मजबूरी है ?

एक घडी ही सही ....

आज नहीं तो कल ही सही ....

लेकिन ....

आप शांत मन - बुद्धि के आयाम में बैठ कर परम सत्य में जरुर डूबें /

==== ओम् =====

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