Tuesday, March 19, 2013

कौन ऐसा कर रहा है ?


  • बुद्ध कहते हैं , अब बस्ती रहनें लायक नहीं ----
  • नौजवान बस्ती से दूर शहर की ओर पलायन कर रहे हैं ----
  • स्त्रियाँ कहती हैं , अब गाँव रहनें लायक नही रहा -----
  • बेटियाँ कहती हैं , अब बस्ती की हवा ठीक नहीं ----
  • बुड्ढे कहते हैं , अंगरेजों का जबाना ठीक था -----
  • पशु कहते हैं , अब बस्ती में गुजारा नहीं होता ----

आखिर , आखिर बस्ती [ गाँव ]   के मोहौल को कौन बरबाद कर रहा है ?


  • गाँव के लोग शरह की ओर भाग रहे हैं .....
  • गाँव के किसानों की जमीनें बेटियों की शादी में बिक रहा हैं .....
  • चाहे गाँव हो या शहर , सभीं जगह काम की गहरी छाया है ....
  • काम के सम्मोहन में मनुष्य मनुष्य नहीं हेवान बन चुका है ....

नर हों या नारियाँ , लड़के हों या लडकियां सभीं जो हैं जैसे हैं वैसे अपनें को नहीं दिखाना चाहते , क्यों ?
बुड्ढे अपनें को बुड्ढा समझनें की गलती कभीं नहीं करते  ....
सिर के बाल , दाढ़ी , मूंछ सफ़ेद हो चुके हैं , उनकी उम्र को छिपानें की पूरी ब्यवस्था की जा चुकी है ....
नारियों के वस्त्रों की डिजाइन को देखिये , उनके अंदर से जैसे कामदेव झाँक रहे हों ....

आखिर आज के मनुष्य को क्या हो गया है ?

वह अपी असलियत को क्यों छिपा रहा है ?
वह प्रकृति के साथ क्यों खिलवाड कर रहा है ? 

आज एक नहीं अनेक प्रश्न हैं जिन पर यदि गहराई से ध्यान न दिया कया तो -----
जैसे वर्तमान से पूर्व की सभीं सभ्यताएं पृथ्वी के अंदर दब चुकी है ....
वैसे ---
वर्तमान की सभ्यता भी , पृथ्वी के अंदर विश्राम करनें लगेगी //

==== ओम् =====

2 comments:

Unknown said...

आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (20-03-13) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
सूचनार्थ |

Kailash Sharma said...

बहुत सार्थक प्रस्तुति...