● सांख्य योगका आधार ●
1- निर्मल चित्त कैवल्यको आमंत्रित करता है ।
2- कैवल्य समाधि अनुभवके बादकी स्थिति होती
है ।
3- कैवल्यमें उतरा योगी कहता है -
अहम् ब्रह्माष्मि ।
4- तामस - राजस गुणोंके सम्मोहनसे मुक्त निर्मल चित्त वालेको भगवानका बोध स्वतः हो जाता है ( भागवत :1.2.19 -20 ) ।
5- गुण तीन प्रकार के हैं -सात्त्विक ,राजस और तामस ।
6- अहंकार भी गुणोंके आधार पर तीन प्रकार के हैं । 7- सात्त्विक गुणकी उर्जा में तन , मन और बुद्धि प्रभुमय होते हैं और उस ब्यक्तिको कण -कण में प्रभु ही प्रभु दिखता है ।
8- राजस गुणकी उर्जा आसक्ति ,काम ,कामना ,क्रोध और लोभके माध्यमसे बाधती है ।
9- तामस गुणकी उर्जा मरण मोह ,आलस्य और भयके लक्षण दिखते हैं ।
10 - सात्त्विक अहंकार से मन ,राजस अहंकार से 10 इन्द्रियाँ ,बुद्धि और प्राण तथा तामस अहंकारसे पांच महाभूत और पांच तन्मात्रों की उत्पत्ति होती है । ~~ ॐ ~~
Tuesday, December 3, 2013
सांख्य योग का आधार
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