Sunday, January 21, 2024

पतंजलि योग सूत्र में ध्यान Meditation का स्वरूप क्या है ?


पतंजलियाेग सूत्र में ध्यान 

( Meditation) क्या है ?

ध्यान को समझने के लिए पतंजलि योग सूत्र के निम्न सूत्रों को लिया गया है ⤵️ 

साधनपाद > 2 , 3 , 4 , 11 ,12 ,13 ,14 

विभूतिपाद > 1 , 2 , 9

कैवल्यपाद > 6

अब ऊपर दिए गए सूत्रों पर आधारित ध्यान को समझते हैं ⤵️

पतंजलि अष्टांगयोग के 08 अंगों में से आखिरी 03 अंग धारणा , ध्यान और समाधि हैं । 

 देश बंध: चित्तस्य , धारणा (विभूति पाद सूत्र : 1) अर्थात चित्तको किसी देश (सात्त्विक आलंबन ) से बांध देना धारणा है ।

" तत्र , प्रत्यय , एकतानता , ध्यानम् " (विभूति पाद सूत्र : 2 )

शब्दार्थ > तत्र शब्द धारणा का संबोधन है , प्रत्यय अर्थात आवरण , एकतानता अर्थात लगातार बिना किसी रुकावट देर तक स्थिर रहना  , ध्यानम् अर्थात ध्यान । भावार्थ को समझते हैं - बिना खंडित हुए , धारणा में चित्तका देर तक स्थिर रहना , ध्यान है । 

तत्र + ध्यानजम् + अनाशयम् ( कैवल्यपाद सूत्र - 6 ) अर्थात ध्यानसे निर्मित चित्त कर्म वासनाओं से मुक्त होता है । ध्यान हेयात् तत् वृत्तयः (साधनपाद  सूत्र : 11 ) अर्थात 

ध्यान से क्लेशों की वृत्तियों का निरोध होता है।   

क्लेश कर्माशय की मूल हैं ( साधनपाद -12 ) । 

जबतक क्लेष निर्मूल नही होते , सुख - दुख मिलते रहते हैं और आवागमन से मुक्ति नहीं मिलती 

( साधन पाद सूत्र : 13+14 )  

समाधि भाव उठते ही क्लेष तनु अवस्था में आ जाते हैं (पतंजलि साधन पाद सूत्र - 2 ) ।

समाधि भाव जब उठता है ?

चित्त के दो धर्म हैं ; व्युत्थान और निरोध ( विभूतिपाद - 9 ) । जब व्युत्थान दबने लगता है तब निरोध धर्म ऊपर उठने लगता है । निरोध धर्म के साथ चित्त में समाधि भाव जागृत होने लगता है । 

अविद्या , अस्मिता , राग , द्वेष , अभिनिवेष - पांच क्लेश हैं (पतंजलि साधन पाद सूत्र : 3 ) । अविद्या शेष चार क्लेशों की जननी है ( साधन पाद - 4 ) । अविद्या अर्थात अज्ञान अर्थात सच को झूठ और झूठ को सच समझना । 

।।।।।।। ॐ।।।।।।।।

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