Thursday, October 13, 2011

मौत क्या है

यात्रा- 01

रुकनें में कोई खुशी नहीं

जानें का गम होता है नहीं

मन कहता फिर कहाँ चले ?

मैं कहता जहां कोई नहीं / / रहनें में … ...


कहीं दूर गगन में बस लेंगे

अब यहाँ तो रहना मुश्किल है

अपनों के संग तो रह ही लिए

अब उसके संग भी रहना है // कहीं दूर … ...





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यात्रा- 02


साधना के बारह मूल मन्त्र


  • सत्य की अनुभूति उस से हमें नहीं हो सकती जो हमारे पास है जैसे तन,मन एवं बुद्धि//

  • सत्य तब दिखनें लगता है जब तन मन एवं बुद्धि की उर्जा रूपांतरित होजाती है//


  • लोगों को तो खूब देखा अब अपनें को भी कुछ घडी देखते हैं//

  • अभीं तक परायों को अपना बना रखा था अब दिखा कि वे सभीं पराये थे//

  • कामना टूटनें पर क्रोध एवं दुःख दो में से कोई एक होता है//

  • जितनी गहरी कामना होगी उतना गहरा दुःख या क्रोध होगा,उसके टूटनें से//

  • दुःख मिले या सुख जो भी मिले उसे प्रभु का प्रसाद समझ कर अपनी झोल में रखो//

  • दुःख की साधना से सीधे प्रभु मिलता है और सुख की साधना अति कठीन साधना होती है//

  • हम जिसको सुख कहते हैं वह ऐसा फल होता है जिसका बीज दुःख होता है//

  • हम सुख – दुःख शब्दों में भ्रमित रहते हैं,ऐसा क्यों?

  • भ्रम अज्ञान की छाया होता है और अज्ञान गुण तत्त्वों के प्रभाव से उपजता है//

  • दुःख की यात्रा वहाँ पहुंचाती है जहां करूणानिधि रहते हैं//




======= ओम =======




यात्रा- 03

वे धन्य हैं जिनका ह्रदय प्रभु से परिपूर्ण है

वे धन्य हैं जिनके दिल में जो है वह सब प्रभु का ही है

वे धन्य हैं जिनको यहाँ कोई नहीं पहचानता

लेकिन ऐसे दिर्लभ को------

वह पहचानता है जो सबका मालिक है//



जो औरों को समझता है वह बुद्धिमान कहला सकता है

और

जो स्वयं को समझता है वह ज्ञानी होता है//


बुद्धि स्तर की समझ में संदेह की पूरी गुंजाइश होती है

लेकिन

ज्ञान से उपजी समझ में संदेह के लिए कोई जगह नहीं होती//




जीवन में मौत के अनुभव के लिए बहुत से मौके मिलते हैं

लेकिन

बहुत कम लोग ऐसे मौकों को समझ पाते हैं//



जन्म का अनुभव तो कहीं स्मृति में दबा हुआ है जिसको हम नहीं जानते और जीवन का दूसरा किनारा है मौत का जो कब आयेगी,कहाँ आएगी और कैसे आयेगी आज तक कोई नहीं जान पाया चाहे वह बुद्ध पुरुष रहा हो या पूर्ण भोगी/जीवन में बहुत बार हम ऐसे अनुभवों से गुजरते हैं जो मूत के अनुभव से ज्यादा दूर के नहीं होते लेकिन ऐसे अनुभवों के समय हम भय में होनें के नाते उनको समझ नहीं पाते और यह हमारी भूल हमें चैन से मरनें नहीं देती//




प्रभु के दरबार में कुछ छिपा न पाओगे और वहाँ कोई तुमसे पूछेगा भी नहीं कि ऐसा क्यों किया?



जीवन में भागते रहना लगभग सब का स्वभाव बन गया है,जो भाग रहे हैं उनमें शायद ही कोई यह समझता हो की वह क्यों भाग रहा है और जी घडी यह सोच उठती है उसी घडी भाग का अंत आ जाता है/हम भाग रहे हैं औरों को समझनें के लिए और समझ नहीं पाते जो समझते हैं वह आगे चल कर झूठा निकलता है और तब बहुत दुःख होता है/जितना श्रम हम करते हैं औरों को समझनें ले लिए उसका एक अंश मात्र भी यदि हम स्वयं को समझनें में श्रम करें तो हमस्वयं को समझ सकते हैं और जो स्वयं को समझता है वह प्रभु को भी समझता है/


यात्रा- 04


क्या आप जानते हैं-------------

  • मीरा20साल की थी जब कबीरजी साहिब देह त्याग गए

  • नानकजी साहिब जब पैदा हुए उस समय कबीरजी साहिब29साल के थे

  • नानक जी साहिब के जन्म से ठीक19साल बाद रवि दासजी साहिब का जन्म हुआ

  • नानक जी के देह छोडनें के08साल बादमीरा देह को त्यागा

  • मीरा के देह त्याग केएक साल बाद रसखान जी का आना हुआ

आज मनुष्य के मनोविज्ञान में नकारात्मन ऊर्जा बह रही है;जो है उसे गलत बनाओ और जो नहीं है उसका स्वप्न देखो/जो सरकार है वह निकम्मी है,जो नहीं है वह प्यारी होगी लेकिन जिस घडी वह आती है उसी घडी से उसकी कब्र हम खोदनें लगते हैं और किसी न कीसी तरह हम सब मिला कर उसे जीते जी कब्र में ढकेलदेते हैं,शुक्र है कि ऊपर मिटटी डालना भूल जाते हैं और वही सर्कार पुनः कुछ समय भाद आ जाती है और यह क्रम सम्पूर्ण संसार में चल रहा है/





यात्रा- 05



रिक्त मन प्रभु को बसाता है

रिक्त मन मंदिर है

रिक्त मन में परम कमल खिलता है

रिक्त मन स्वयं का असली रूप दिखाता है



यात्रा- 06


एक गाँव में एक बूढा अकेले एक झोपड़े में रहता था,कई दिनों से वह बाहर न दिखा तब बस्ती के लोग उसके झोपड़े में पहुंचे और देखा कि वह तो बिचारा बीमार था और था अकेला/सभीं लोग उसकी मदद करना चाहते थे,कोई पानी की गिलास ले कर आगे आता तो कोई अपनें घर से भोजन ले कर आया लेकिन वह कुछ खाया-पीया नहीं बश लोगों को हाँथ जोड़ कर अभिवादन जरुर किया और धीरे से बोला, “आप लोग कुछ समय के लिए बाहर जाएँ एक हमारे खास मेहमान आये हैं जिनका मैं इन्तजार कर रहा था,फिर आप लोग आ जाना,यह झोपडा तो आप सबका ही है" /सभीं लोग एक दूसरे को देखते हुए एक के बाद एक बाहर जानें लगे और चंद मिनटों में झोपडा खाली हो गया/बाहर रहे होंगे लगभग10 – 12लोग,सभीं आपस में बातें कर रहे थे कि भाई वह खास ब्यक्ति कौन हो सकता है,अब तो अंदर कोई दिखता भी नहीं?गाँव के मुखिया जी बोले,पिछले पचास साल से मैं देख रहा हूँ,आज तक तो कोई आया नहीं लेकिन ताजुब की बात है,आखिर वह खास ब्यक्ति कौन हो सकता है?जो लोग बाहर थे उनमें से एक आदमी झोपसे से कान लगा कर अंदर की आवाज को सुन रहा था/अंदर से आवाज आ रही थी जैसे कोई दो लोग धीरे-धीरे बातें कर रहे हों,उस ब्यक्ति नें इशारा किया की चुप रहो,जिससे अंदर चल रही वार्ता को मैं ठीक से सुन सकूं/अब सबको यकींन हो गया,कोई न कोई अंदर जरुर है और सभीं चुप हो गए/झोपसे आ रही आवाज में उस बीमार ब्यक्ति के रो-रो कर बातें करनें की आवाज आ रही थी,वह रो-रो कर कह रहा था,तुम इतनें दिन लगा दिए आनें में मैं तो सालों से तेरा इन्तजार कर रहा था,मुझे यह नहीं मालूम था कि तुम इतनें निर्दयी हो,चलो अच्छा हुआ आ तो गए मैं तो सोच बैठा था कि तुम आओगे ही नहीं/धीरे-धीरे अंदर झोपड़े में उस बीमार ब्यक्ति की आ रही आवाज बंद हो गयी और लगभग दस मिनट तक जब कोई आवाज न आयी तो वह आदमी जो कान लगा कर अंदर की बात को सुन रहा था भाग कर प्रधान जी के पास आ कर बोला,प्रधान जी आप अंदर जाएँ अबतो आवाज भी आनी बंद हो गयी है और ऐसा लग रहा है,जैसे अंदर कोई है ही नहीं/प्रधानजी भागे-भागे अंदर गए और जोर से आवाज लगाईं,आ जाओ सभीं यह बूढा तो अब नहीं रहा/अंदर जा कर लोग देखे,वह बीमार नीचे जमीन पर पड़ा है और एक दम ठंढा हो चुका है/

अब आप सोचिये वह उसका खास मेहमान कौन रहा होगा जो उसके अखीरी क्षणों में उसके पास आया था और वह उसे पहचान कर बोला,अरे!तुम आगये? ,मैं तो कितनें दिनों से तेरा इन्तजार कर रहा था,चलो कोई बात नहीं जब आ ही गए हो तो तेरे साथ चलना ही होगा/वह कोई साकार न था वह थीमौत----------//

वह जो मृत्यु के समय मौत को देख कर उसे पहचान लेता है वह ब्यक्ति सीधे परमधाम पहुंचता है/


=====ओम्--------


1 comment:

Atul Shrivastava said...

प्रेरक पोस्‍ट।
आभार.....