प्रोफ़ेसर आइन्स्टाइन का कहना है------
बहुत कम लोग ऐसे हैं जो अपनी इंद्रियों से देखी गयी घटना या बस्तु को अपनें दिल से समझते हैं /
सभीं लोग नंबर एक अपनें को समझते हैं बिना कुछ किये/
बहुत कम लोग नंबर एक बननें के लिए कोशीश करते हैं/
पीछे घूम – घूम कर देखनें वाला कभीं नंबर एक नहीं आ सकता
नंबर एक वह नहीं होता है जो लोगों की नक़ल करके अपनें को नम्बर एक समझता हो/
नंबर एक रहनें वाला कभीं यह सोच कर आगे कदम नहीं बढाता कि लोग क्या कहेंगे/
नंबर एक वह होता है जो जो कर रहा होता है उसमें उसकी पूरी श्रद्धा-लगन होती है/
नंबर एक के साथ रहनें से ऐसा लगनें लगता है कि यह ब्यक्ति स्वयं तो कुछ करता नहीं,लगता है कि जैसे कोई शक्ति इससे यह सब करा रही हो /
नंबर एक वह होता है जिसकी नज़र किसी और पर नहीं अपनी ऊपर होती है/
नबर एक कभीं परवाह नहीं करता कि लोग उसके बारे में क्या कह रहे हैं/
Prof. Einstein की जब Theory of relativity विज्ञान जगत के सामनें आयी तब एक सौ लोग उनके बिरोध में खड़े हो गए और गणित को उनके खिलाफ ढालनें लगे , किसी पत्रकार नें उनसे पूछा , आप बोलते क्यों नहीं चुप क्यों रहते हैं , उनका जबाब क्यों नहीं देते ?
Einsteinकहते हैं--------
यदि मैं गलत हूँ तो सौ लोगों को इक्कठे होने की क्या जरुरत , एक ही काफी होता ? ऐसे लोग होते हैं जो नंबर एक होते हैं , देखिये इनके vision को , कितना पारदर्शी है ?
नंबर एक बननें की कोशीश करना,बुरा नहीं,कोशीश सब को करनी ही चाहिए लेकिन-----
किसी की टांग में अपनी टांग लड़ा कर किसी को नीचे नहीं गिराना चाहिए …...
नंबर एक बननें की कोशीश में कहीं अहंकार की छाया नहीं पड़नी चाहिए ….
कभीं कोई गहरी चाह नहीं ऎसी होनी चाहिए जिसके प्रभाव में मनुष्य इंसानियत को भूल बैठे
वह हर पल हर घडी नंबर एक है----
जिसकी मन-बुद्धि में प्रभु बसते हों
======= ओम्============
2 comments:
खूबसूरत प्रस्तुति |
त्योहारों की नई श्रृंखला |
मस्ती हो खुब दीप जलें |
धनतेरस-आरोग्य- द्वितीया
दीप जलाने चले चलें ||
बहुत बहुत बधाई ||
अच्छी प्रस्तुति।
आभार।
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