Friday, October 21, 2011

इसे भी समझो



प्रोफ़ेसर आइन्स्टाइन का कहना है------



बहुत कम लोग ऐसे हैं जो अपनी इंद्रियों से देखी गयी घटना या बस्तु को अपनें दिल से समझते हैं /







  • सभीं लोग नंबर एक अपनें को समझते हैं बिना कुछ किये/





  • बहुत कम लोग नंबर एक बननें के लिए कोशीश करते हैं/





  • पीछे घूम – घूम कर देखनें वाला कभीं नंबर एक नहीं आ सकता





  • नंबर एक वह नहीं होता है जो लोगों की नक़ल करके अपनें को नम्बर एक समझता हो/





  • नंबर एक रहनें वाला कभीं यह सोच कर आगे कदम नहीं बढाता कि लोग क्या कहेंगे/





  • नंबर एक वह होता है जो जो कर रहा होता है उसमें उसकी पूरी श्रद्धा-लगन होती है/





  • नंबर एक के साथ रहनें से ऐसा लगनें लगता है कि यह ब्यक्ति स्वयं तो कुछ करता नहीं,लगता है कि जैसे कोई शक्ति इससे यह सब करा रही हो /





  • नंबर एक वह होता है जिसकी नज़र किसी और पर नहीं अपनी ऊपर होती है/





  • नबर एक कभीं परवाह नहीं करता कि लोग उसके बारे में क्या कह रहे हैं/



Prof. Einstein की जब Theory of relativity विज्ञान जगत के सामनें आयी तब एक सौ लोग उनके बिरोध में खड़े हो गए और गणित को उनके खिलाफ ढालनें लगे , किसी पत्रकार नें उनसे पूछा , आप बोलते क्यों नहीं चुप क्यों रहते हैं , उनका जबाब क्यों नहीं देते ?



Einsteinकहते हैं--------



यदि मैं गलत हूँ तो सौ लोगों को इक्कठे होने की क्या जरुरत , एक ही काफी होता ? ऐसे लोग होते हैं जो नंबर एक होते हैं , देखिये इनके vision को , कितना पारदर्शी है ?







  • नंबर एक बननें की कोशीश करना,बुरा नहीं,कोशीश सब को करनी ही चाहिए लेकिन-----





  • किसी की टांग में अपनी टांग लड़ा कर किसी को नीचे नहीं गिराना चाहिए …...





  • नंबर एक बननें की कोशीश में कहीं अहंकार की छाया नहीं पड़नी चाहिए ….





  • कभीं कोई गहरी चाह नहीं ऎसी होनी चाहिए जिसके प्रभाव में मनुष्य इंसानियत को भूल बैठे



वह हर पल हर घडी नंबर एक है----



जिसकी मन-बुद्धि में प्रभु बसते हों






======= ओम्============





2 comments:

रविकर said...

खूबसूरत प्रस्तुति |

त्योहारों की नई श्रृंखला |
मस्ती हो खुब दीप जलें |
धनतेरस-आरोग्य- द्वितीया
दीप जलाने चले चलें ||

बहुत बहुत बधाई ||

Atul Shrivastava said...

अच्‍छी प्रस्‍तु‍ति।
आभार।